– देश में केवल चार ऐसी प्रतिमाएं
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर जैसीनगर क्षेत्र के देवलचौरी गांव के राज मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की श्याम शिला पर दुर्लभ प्रतिमा है, जो बिल्कुल वृंदावन के बांके बिहारी सरकार के जैसी हैं। पुरातत्व विभाग भी इस प्रतिमा को प्राचीन और दुर्लभ मान रहा है, लेकिन सबसे बड़ा दावा यह किया जा रहा है कि श्याम शिला पर भगवान कृष्ण की इतनी बड़ी प्रतिमाएं देश भर में केवल चार जगह हैं। जिसमें वृंदावन के बांके बिहारी, पन्ना के जुगल किशोर, जयपुर के गोविंद देव जी और चौथी प्रतिमा देवलचौरी में बिराजे बांके बिहारी की है।
– पहले कच्चे घर जैसा था मंदिर
देवलचौरी गांव के 98 वर्षीय मनमोहन तिवारी ने बताया कि हमारे बुजुर्गों ने मंदिर में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का स्पष्ट वर्ष तो नहीं बताया, लेकिन बचपन से यही बात सुनी है कि 500 साल पहले मंदिर निर्माण के साथ प्रतिमा स्थापित हुई थी। पहले गांव का मंदिर कच्चे घरों की तरह था, न गुम्बद थी न मंदिर जैसी कोई आकृति। बाहर से देखने पर एक घर ही नजर आता था। इसको लेकर बताया जाता था कि मुस्लिम शासकों से भगवान की प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने मंदिर को घर के जैसे बनाया गया था।
– श्याम शिला दुर्लभ है
भारत के हर घर में शालिगराम भगवान तो मिलते हैं, लेकिन बड़े आकार की श्याम शिला यहां मिलना लगभग मुश्किल है। इसका ताजा उदाहरण अयोध्या में श्याम शिला पर निर्मित हुई रामलला की प्रतिमा कर रही है। जिसे विशेष अनुमति पर नेपाल की नदी से निकालकर भारत लाया गया था।
– आज जन्मोत्सव
देवलचौरी गांव के बांके बिहारी मंदिर में आज कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी, इसको लेकर लोगों ने एक सप्ताह पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। सोमवार की रात ठीक 12 बजे धूमधाम से भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, जिसमें गांव के अलावा आसपास के लोग भी शामिल होंगे। सुबह से भगवान का विशेष श्रंगार तो शाम से ही भजन-कीर्तन शुरू हो जाएंगे।
– आकार ले रहा विशाल मंदिर
करीब 25 साल पहले गांव के लोगों ने मिलकर बांके बिहारी मंदिर की कमेटी का गठन किया था। मंदिर के नाम स्वयं की लगभग 72 एकड़ जमीन है, जिसे हर साल विधिवत नीलाम किया जाता है, इससे जो राशि प्राप्त होती है उससे साल भर का खर्चा चलता है। इसके अलावा कमेटी द्वारा राजस्थानी लाल पत्थरों से अब श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर किया जा रहा है। जिसका लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि अगले एक साल में भव्य अनुष्ठान के साथ नए मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
– प्रतिमा प्राचीन है
प्रतिमा दुर्लभ श्याम शिला पर निर्मित है और उसकी बनावट को देखकर यह अनुमान है कि यह 18वीं सदी के पहले निर्मित हुई है। बाकी स्पष्ट जानकारी श्याम शिला के अध्ययन के बाद ही बताई जा सकती है। प्रो. नागेश दुबे, विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, केंद्रीय विवि