2500 से अधिक वर्षों से लगातार आबाद रहने वाले वडनगर शहर सात अलग-अलग राजवंशों के अधीन रहा है। वडनगर प्रमुख व्यापारिक मार्ग पर होने के कारण हिंदू, बौद्ध, जैन और इस्लाम धर्मों के संगम का एक जीवंत केंद्र था। यह शहर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का अनमोल खजाना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में राज्य सरकार वडनगर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और संवारने तथा इस ऐतिहासिक नगर में बुनियादी तथा पर्यटन सुविधाएं विकसित करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। वडनगर पर आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी गांधीनगर और आईआईटी रुड़की की ओर से व्यापक बहु-विषयक शोध शुरू किया गया है।
शर्मिष्ठा तालाब का भी विकास नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ही वडनगर रेलवे स्टेशन का विकास किया गया, ताकि पर्यटक वडनगर तक आसानी से पहुंच सकें। वडनगर के लगभग 4500 वर्ष पुराने शर्मिष्ठा तालाब का भी विकास किया गया है। तालाब में बोटिंग की सुविधा भी विकसित की गई है और ओपन एयर थियेटर का भी निर्माण किया गया है।
पुरातत्व अनुभव संग्रहालय वडनगर में नवनिर्मित पुरातत्व अनुभव संग्रहालय बना है, जो भारत का अपनी तरह का पहला संग्रहालय है। इसे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने राज्य के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय के सहयोग से तैयार किया है। 298 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से तैयार यह चार मंजिला संग्रहालय लगभग 12,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है। संग्रहालय में कलाओं, शिल्पों और क्षेत्र की भाषा को प्रदर्शित करने वाली 9 गैलरियां भी बनाई गई हैं।
72 करोड़ रुपए की लागत से तैयार‘प्रेरणा संकुल तैयार किया गया है। वर्ष 1888 में स्थापित इसी स्कूल में प्रधानमंत्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस स्कूल को भविष्य के आधुनिक शैक्षणिक संस्थान के रूप में विकसित किया गया है, जिसमें नई टेक्नोलॉजी के जरिए शिक्षा और नैतिक मूल्यों का अनूठा समन्वय है।