रेलवे सुरक्षा ऑडिट पर क्या हुई कार्रवाई
अपने पत्र में उन्होंने कहा कि ‘हाल ही में कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के दौरान सबसे पहले वहां बकरीद मना रहे स्थानीय लोग बचाव कार्य के लिए आगे आए और अधिकांश बचाव कार्य किया। रेलवे की एक टीम वहां दो घंटे बाद पहुंची। एवन श्रेणी के स्टेशन जलपाईगुड़ी केवल 10 किमी दूर होने के बावजूद रेलवे को बचाव कार्य करने में काफी समय लग गया।’ इस दौरान उन्होंने रेलवे सुरक्षा ऑडिट के बारे में सवाल करते हुए मंत्री से निष्कर्षों पर की गई कार्रवाई को प्रकाशित करने का भी अनुरोध किया।
रिक्तियां 2.8 लाख, प्रस्ताव 1.25 लाख का
उन्होंने कहा कि 2.8 लाख रिक्तियों में से 1.8 लाख रिक्तियां केवल सुरक्षा श्रेणी की थीं। लेकिन प्रस्ताव केवल करीब 1.25 लाख नियुक्तियों के लिए ही दिए गए हैं। सांसद ने मंत्री से नियुक्तियों में तेजी लाने का आग्रह करते हुए कहा कि ‘ये सभी नियुक्तियां केवल सुरक्षा श्रेणी की नहीं हैं। इसके अलावा भर्ती प्रक्रिया एक वर्ष से अधिक समय लगता है और भर्ती के बाद प्रशिक्षण देने में भी पांच महीने से लेकर दो साल तक का समय लगता है। इस प्रकार किसी चयनित उम्मीदवार को काम करने में आसानी से दो साल से अधिक समय लग जाता है। सभी 16 क्षेत्रीय रेलवे में मिलाकर करीब 5700 सहायक लोको पायलट और 9000 तकनीशियन के लिए तो अधिसूचनाएँ जारी की गईं हैं लेकिन इंटीग्रल कोच फैक्ट्री जैसी उत्पादन इकाइयों को पूरी तरह से छोड़ दिया गया है।