लेटलतीफी में जाती है जान
सर्पदंश की घटना के बाद लोग लापरवाही करते हुए उपचार में लेटलतीफी करते हैं। घटना के बाद सांप के रंग एवं आकार को याद रखने की कोशिश करें। पीडि़त व्यक्ति का सिर ऊंचा रखकर लिटाएं। घाव को साफ पानी एवं साबुन से धो लें। घाव से खून का रिसाव होने दें। घाव पर ढीली व साफ पट्टी रखें। पीडि़त व्यक्ति को जितनी जल्दी हो सके नजदीकी स्वास्थ्य संस्था में ले जाकर उपचार करवाएं।झाडफ़ूंक में न पड़ें, तुरंत कराएं उपचार
सर्पदंश की घटना के बाद लोग झाडफ़ूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं। इससे समय चला जाता है। जबकि सर्पदंश के बाद तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। कई बार लोग सर्पदंश के स्थान पर चीरालगाकर घाव कर देते हैं जिससे सेप्टिक होने का डर रहता है। पीडि़त व्यक्ति की हालत बिगडऩे का इंतजार न करें, तुरंत नजदीकी अस्पताल लेकर जाएं। सर्पदंश के स्थान को बिल्कुल नहीं हिलाएं मरीज को स्थिर अवस्था में रखें।जिला अस्पताल के भरोसे उपचार व्यवस्था
जिला अस्पताल के साथ जिले भर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्नेक एंटी वेनम की उपलब्धता की बात स्वास्थ्य विभाग करता है। जिला अस्पताल के स्टोर में स्नेक एंटी वेनम की उपलब्धता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त स्टॉक की उपलब्धता नहीं कर पाता है। सर्पदंश का शिकार होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज जिला अस्पताल पहुंचते हैं।बारिश के कारण सांप निकलने की घटना ज्यादा हो रही है। इस दौरान जहरीले प्रजाति के सांप ज्यादा निकल रहे हैं। सर्पदंश की घटना होने पर उपचार में ज्यादा लेटलतीफी नहीं करनी चाहिए। समय पर उपचार के लिए मरीज को अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाकर मरीज की जान बचाई जा सकती है।
रमेश सोनी, सर्प विशेषज्ञ