कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की सितंबर से ही प्रदूषण को रोकने के लिए बैठके शुरू हो जाती हैं। जिससे अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम लगाए जा सके और किसानों को दूसरी तकनीक को अपनाने के लिए कई तरह के उपाय भी बताए गए। हालांकि, किसानों द्वारा कहा जाता रहा है कि वह न चाहते हुए भी पराली जलाने को मजबूर हैं क्योंकि पराली जलाना सबसे सस्ता पड़ता है। किसानों की मांग है कि उन्हें सरकार से सब्सिडी के जरिए उच्चतम तकनीक की मशीनें व अन्य उपकरण मुहैया कराए जाएं। जिससे वह उन माध्यम से पराली को न जलाते हुए उसकी खाद बनाकर रियूज कर सकें।
जमीनी स्तर पर पराली जलाने की घटना को रोकना जरूरी वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनने के बाद ऐसी उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार आने वाले समय में कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की बैठकों में दिल्ली-एनसीआर में पराली से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई रणनीति बनाएंगी। पहले पंजाब में कांग्रेस की सरकार होने के कारण पंजाब और दिल्ली सरकार के बीच अक्सर पराली से फैलने वाले प्रदूषण को लेकर गतिरोध देखा जाता था। लेकिन अब विशेषज्ञों को उम्मीद है कि जमीनी स्तर पर पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में सहायता मिल सकती है। इसे रोकना जरूरी है।
किसानों को प्रति एकड़ 2500 रुपये देने का कमिशन में भेजा प्रस्ताव हाल ही में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशम के लॉन्च के अवसर पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण से जुड़े एक सवाल पर जानकारी दी है कि पंजाब सरकार ने एयर क्वालिटी कमीशन को एक प्रस्ताव भेजा है। उस प्रस्ताव के मुताबिक, 2500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों को अपनी पराली न जलाने के लिए कैश इंसेंटिव देने की बात कही गई है कि हम किसान को 2500 रुपये दे दें। इसके बाद किसान जो भी तकनीक इस्तेमाल करें और वह पराली न जलाएं। पंजाब सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि 500 रुपये पंजाब सरकार और 500 रुपये दिल्ली सरकार दे दें। बाकी के 1500 रुपये केंद्र सरकार दें। एयर क्वालिटी कमीशन इस पर जब भी निर्णय ले। दिल्ली सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए जो भी करना पड़ेगा, वो करेगी।