राष्ट्रपति ने कहा कि यह कदम न केवल आईआईटी खड़गपुर को इंटरनेशनल स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने में मदद करेगा बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया की प्राचीन ज्ञान परंपरा वाले इतने विशाल देश का एक भी शैक्षणिक संस्थान दुनिया के शीर्ष 50 शैक्षणिक संस्थानों में शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि रैंकिंग की दौड़, अच्छी शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन अच्छी रैंकिंग न केवल दुनिया भर के छात्रों और अच्छे संकाय-सदस्यों को आकर्षित करती है बल्कि देश की प्रतिष्ठा भी बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी आईआईटी होने के नाते आईआईटी खड़गपुर को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी खड़गपुर जैसे संस्थानों को नवाचार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्हें तकनीक विकसित करने और उसे क्रियान्वित करने के लिए परिवर्तनकारी प्रयास करने होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी पर हर किसी का अधिकार होना चाहिए। इसका उपयोग समाज में खाई बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान प्रणाली आम लोगों के जीवन को सरल बनाने वाली प्रौद्योगिकी का सबसे अच्छा उदाहरण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है, नए मानक स्थापित कर रहा है और एक प्रमुख विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है। हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना से दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान तलाशने के लिए तत्पर हैं। भारत के इस अमृत काल में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ही स्वर्ण युग आएगा। कम्प्यूटरीकरण, सौर ऊर्जा, जीनोमिक्स और कई भाषा मॉडल ऐसे कुछ प्रयोग हैं जो सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। 150 साल पहले जो बीमारियां लाइलाज लगती थीं, उनका इलाज अब लगभग मुफ्त में किया जाता है। लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है। इस दुनिया को बेहतर और समावेशी बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका अहम है।