रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, “मैंने अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने की चुनौती स्वीकार की है और मुझे इसे पूरा करना होगा।” भारत-श्रीलंका संबंधों के बारे में पीएम ने कहा, “यह बहुत बेहतर हो जाएंगे।” देश की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों के बारे में पीएम ने कहा, “उन्हें ठहरना चाहिए, हम चाहते हैं कि वे थम जाएं, अगर वे बात करना चाहते हैं तो हम तैयार है।”
बता दें, 73 वर्षीय यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को बंद कमरे में चर्चा के बाद प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया। श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था।
70 के दशक में रानिल ने राजनीति में कदम रखा और पहली बार 1977 में सांसद चुने गए थे। 1993 में पहली बार PM बनने से पहले रानिल उप विदेश मंत्री, युवा और रोजगार मंत्री सहित कई और मंत्रालय संभाल चुके हैं। वह संसद में दो बार विपक्षी नेता की भूमिका निभा चुके हैं। बता दें, रानिल विक्रमसिंघे को भारत समर्थक माना जाता है। वह भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ करने के प्रबल हिमायती रहे हैं। पड़ोसी देश भारत के प्रति किसी तरह का पूर्वग्रह नहीं रखते।
आपको बता दें, 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। मगर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया प्रधानमंत्री मिलने के साथ आर्थिक सुधार के संकेत मिले हैं। यहां स्टॉक एक्सचेंज में तीन प्रतिशत का उछाल आया है।