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नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में अपने लास्ट डे पर बोले जस्टिस एलएन राव- ‘जज साधु-संन्यासी नहीं होते, हम पर भी होता है काम का दबाव’

सुप्रीम कोर्ट के पांचवें सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल.एन.राव ने शुक्रवार को कहा कि न्यायाधीश, संन्यासी नहीं हैं और कई बार वे भी काम का दबाव महसूस करते हैं। अपने आखिरी कार्य दिवस पर जस्टिस राव ने शीर्ष दालत में न्यायाधीश के छह साल के कार्यकाल को अच्छा प्रवास करार देते हुए अपने वकालत के दिनों को भी याद किया।

नई दिल्लीMay 20, 2022 / 09:39 pm

Archana Keshri

सुप्रिम कोर्ट में अपने अंतिम कर्य दिवस पर बोले जस्टिस एलएन राव - 'जज साधु-संन्यासी नहीं होते, हम पर भी होता है काम का दबाव'

सुप्रिम कोर्ट में अपने अंतिम कर्य दिवस पर बोले जस्टिस एलएन राव – ‘जज साधु-संन्यासी नहीं होते, हम पर भी होता है काम का दबाव’

सुप्रीम कोर्ट के पांचवें सबसे सीनियर जज जस्टिस एल नागेश्वर राव रिटायर हो रहे हैं। जस्टिस राव ने अंतिम कार्य दिवस पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना और जस्टिस हेमा कोहली के साथ एक औपचारिक बेंच शेयर की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जज साधु-संन्यासी नहीं होते हैं, कई बार वे भी काम का दबाव महसूस करते हैं। उन्होंने यह राय CJI के साथ अपने आखिरी प्रभावी कार्य दिवस पर ‘रस्मी पीठ’ साझा करते हुए रखी।
बता दें कि न्यायमूर्ति राव 7 जून को अवकाश प्राप्त कर रहे हैं और शुक्रवार को उनका आखिरी कार्य दिवस था, क्योंकि शीर्ष अदालत में आज से गर्मियों की छुट्टियां हो रही हैं। जस्टिस राव 7 जून, 2022 को रिटायर हो रहे हैं। जस्टिस राव सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में 7वें ऐसे जज हैं, जिन्हें सीधे बार से प्रमोट किया गया।
जस्टिस राव ने अपने 6 साल के कार्यकाल को एक अच्छा समय करार दिया। उन्होंने कहा, “मैं 22 साल से इस बार का सदस्य हूं। आप सभी के प्यार और स्नेह ने मेरे काम को बहुत आसान बना दिया है। मुझे लगता है कि वकील होना जज होने से बेहतर है। मौका मिलने पर मैं हमेशा के लिए वकील बनना पसंद करूंगा।”
जस्टिस राव जनवरी 1995 से मई 2016 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके हैं। उन्होंने 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले वह सीनियर एडवोकेट के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे थे। जस्टिस राव ने कई हाई प्रोफाइल मामलों को देखा है। वह अगस्त 2003 से मई, 2004 तक और फिर 26 अगस्त 2013 से 18 दिसंबर 2014 तक भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं।
बार सदस्यों, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की ओर से दी गई बधाई पर न्यायमूर्ति राव ने कहा कि वह अधिवक्ताओं से क्षमा मांगना चाहते हैं अगर अदालती कार्यवाही के दौरान उन्होंने आहत किया हो। उन्होंने कहा, “कई बार काम का दबाव होता है, क्योंकि हम संन्यासी नहीं हैं। मुझे पता है कि कई बार मैंने तेज आवाज में बोला, कम से कम से वकीलों की आवाज को धीमी करने के लिए आवाज उठाई।”
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के वाइस प्रेसिडेंट प्रदीप राय फेयरवेल के दौरान न्यायमूर्ति राव की एक बात शेयर की। उन्होंने बताया कि जस्टिस राव 1989 में आई संजय दत्त की फिल्म ‘कानून अपना अपना’ में एक पुलिसवाले का किरदार भी निभा चुके हैं। इस फिल्म में कादिर खान ने भी अभिनय किया था।

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तो वहीं रस्मी पीठ की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई रमण ने कहा, “उन्होंने और न्यायमूर्ति राव ने वकालत की शुरुआत आंध्र प्रदेश में एक ही स्थान से की। जस्टिस रमण ने कहा, वह पहली पीढ़ी के वकील हैं। उनका कोई गॉडफादर या समर्थन नहीं था। मैं उन्हें और उनके परिवार को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। यह बहुत भावुक करने वाला दिन है। हमने एक साथ अपने करियर की शुरुआत की थी, और कुछ समय के बाद मैं भी अवकाश प्राप्त करूंगा। जस्टिस राव ने हमेशा मेरा समर्थन किया है। CJI ने यह भी संकेत दिया कि न्यायमूर्ति राव सात जून को अवकाश प्राप्त करने के बाद हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की अध्यक्षता कर सकते हैं।
बता दें, न्यायमूर्ति राव आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले स्थित चिराला के रहने वाले हैं। उन्होंने गुंटुर स्थित नागार्जुन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और वर्ष 1982 में आंध्र प्रदेश के बार काउंसिल में वकील के तौर पर अपना पंजीकरण कराया। उन्होंने गुंटुर जिला अदालत में दो साल तक वकालत की और इसके बाद आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में वकालत करने चले आए और वर्ष 1994 तक वहां वकालत की थी।

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