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नई दिल्ली

झारखंड: दांव पर शिबु सोरेन परिवार की साख

-जेएमएम के टिकट पर चुनाव मैदान में सीएम हेमंत सोरेन, पत्नी कल्पना और भाई बसंत

-भाजपा के टिकट पर परिवार की दूसरी बहू सीता सोरेन लड़ रही चुनाव

-वापसी के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी गुजर रहे अग्निपरीक्षा से

-ग्राउंड रिपोर्ट

नई दिल्लीNov 19, 2024 / 10:32 am

Shadab Ahmed

Jharkhand

झारखंड: गिरिडीह जिले के गांडेय विधानसभा क्षेत्र में जेएमएम कार्यकर्ता एक आदिवासी महिला को डमी ईवीएम पर मतदान की प्रक्रिया समझाते हुए।

शादाब अहमद

दुमका (झारखंड). झारखंड की उपराजधानी आदिवासी बाहुल्य दुमका है। यह सियासत का केन्द्र भी है, वजह है शिबु सोरेन परिवार का यहां वर्चस्व होना। दुमका, गिरिडीह और साहेबगंज जिले में सोरेन परिवार के चार सदस्य चुनाव में उतरे हुए हैं। जहां जेएमएम के टिकट पर साहेबगंज जिले के बरहेट से शिबु सोरेन के पुत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन गिरिडीह जिले की गांडेय और हेमंत के भाई बसंत सोरेन दुमका सीट से चुनाव मैदान में हैं। वहीं शिबु की बहू सीता सोरेन जामताड़ा सीट पर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में डटी हुई है। सोरेन परिवार के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। इसके चलते परिवार के सभी सदस्त जमीन पर पूरी ताकत के साथ जुटे हुए नजर आ रहे हैं।

1. गांडेय: फिर से परचम लहराने की तैयारी में कल्पना

हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन ने जिस तरह खुद को स्थापित कर देश में खुद की पहचान बनाई। इस सीट पर अब देश की निगाह है। यही वजह है कि गांडेय जाने के लिए पर मैंने गिरिडीह से हाइवे छोड़ गांवों की सडक़ को पकड़ा। डामर के शानदार सिंगल रोड और जगह-जगह पानी की टंकियां व नल लगे होने से इस इलाके में हुए विकास की कहानी बयां कर रहे थे। हालांकि गांवों में कच्चे मकान और महिलाओं के शारीरिक रूप से कमजोर होने के साथ उनके पहनावे से इस इलाके की गरीबी भी झलक रही थी। रास्ते में जेएमएम के कार्यकर्ता चुनाव की पर्चियां और डमी ईवीएम लेकर महिलाओं को वोटिंग का तरीका बताते दिखे। जबकि भाजपा उम्मीदवार मुनिया देवी का इस इलाके में कहीं प्रचार नहीं दिखा।

2. दुमका: आसान नहीं बसंत की राह

शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहे है। यहां उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुनील सोरेन हैं। सुनील यहां से शिबू सोरेन को लोकसभा चुनाव भी हरा में हरा चुके हैं। वहीं कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बढ़त बनाई थी। ऐसे में बसंत के लिए इस बार राह आसान नहीं है। मुख्य बाजार में स्टेशनरी चलाने वाले सुदेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि काम तो हुआ है, लेकिन घुसपैठ भी मुद्दा है। आने वाली पीढिय़ों के भविष्य पर हमें ही ध्यान देना होगा।

3. जामताड़ा: सीता को खड़ा कर भाजपा का बड़ा दांव

शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को भाजपा ने जामताड़ा से चुनाव लड़ा कर बड़ा दांव खेला है। इस सीट पर आदिवासियों के साथ मुस्लिम मतदाताओं का बाहुल्य है। सीता के चुनाव मैदान में आने से आदिवासियों के वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है। ऐसे में यहां चुनाव दिलचस्प होता दिख रहा है। सब्जी बेचने वाले नारायण कुमार ने कहा कि इरफान ने सीता पर अभद्र टिप्पणी कर सही नहीं किया। चुनाव में लोग उसे सबक सिखाएंगे।

4. बरहेट: हेमंत को हेट्रिक बनाने के लिए लड़ रहे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यहां से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले वे दो चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उनके सामने जीत की हेट्रिक बनाने की चुनौती है। भाजपा ने इस बार गमालियल हेंब्रम को चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में भाजपा और आजसू अलग-अलग चुनाव लड़ी थी, जिसका फायदा हेमंत को हुआ था।

5. धनवार: बाबूलाल मरांडी की अग्निपरीक्षा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कुछ समय पहले अपनी पार्टी का भाजपा में विलय किया था। एक बार फिर वे धनवार सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यहां उनके सामने जेएमएम के निजामुद्दीन अंसारी है। वहीं यहां सीपीएम माले और नवगगिठत जेएलकेएम ने भी उम्मीदवार उतारा है। यहां जेएमएम के वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिसका फायदा मरांडी को मिल सकता है। यहां बस स्टैण्ड के समीप रहने वाले नंद किशोरी ने कहा कि बाबलाल ूमरांडी ने वैसे तो कोई खास काम नहीं करवाया है, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसलिए जीतने की उम्मीद है।

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