लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने कहा, “काउंटर दाखिल करने के लिए सीबीआई को 11 मार्च तक का समय दिया गया था। आज तक, उन्होंने कोई जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया है और आखिरी मौका देने का वादा किया है। अदालत ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए एक और सप्ताह का समय दिया है, 22 अप्रैल के दिन को सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है।”
कुमार ने आगे कहा कि सीबीआई ने 11 मार्च को जानबूझकर जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया ताकि लालू जी अधिक समय तक जेल में रहें। उन्होंने कहा, “जेल में लालू जी का इलाज चल रहा है। कृष्ण मोहन प्रसाद और तीन-चार अन्य को जमानत दे दी गई है।”
950 करोड़ रुपये का चारा घोटाला (पांच चारा घोटालों का कुल घोटाला, लालू दोषी साबित हुए हैं) अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की धोखाधड़ी से निकासी से संबंधित है। लालू यादव को 15 फरवरी को दोषी घोषित किया गया था। मामले के 99 आरोपियों में से 24 को बरी कर दिया गया था, जबकि 46 आरोपियों को तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। झारखंड के रांची में CBI की विशेष अदालत ने उन्हें डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का दोषी पाया है।
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट के उन्हें जमानत देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव को जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गए और राजद नेता से इस पर जवाब दाखिल करने को कहा। इससे पहले फरवरी में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक अदालत ने पांचवे चारा घोटाला मामले में यादव को पांच साल कैद की सजा सुनाई थी और उन पर 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में चाईबासा के उपायुक्त अमित खरे द्वारा की गई छापेमारी के बाद यह घोटाला सामने आया। मामले की जांच के लिए बढ़ते दबाव के बाद मार्च 1996 में पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई को नियुक्त किया था। सीबीआई ने मामले में ऐसे समय में प्राथमिकी दर्ज की जब बिहार अभी भी अविभाजित था। जून 1997 में, CBI द्वारा दायर आरोप पत्र में यादव को पहली बार मामले में आरोपी बनाया गया था।