अंकिता अधिकारी को कोर्ट ने दो किश्त में वेतन लौटाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि अंकिता को अपना 41 महीने का वेतन दो किस्तों में चुकाना होगा। हली किस्त 6 जून को देनी है। दूसरी किस्त की तारीख 8 जुलाई है। कोर्ट ने अंकिता को नौकरी से निकालने का आदेश देते हुए कहा कि वह शिक्षिका के तौर पर अपनी पहचान भी नहीं बता सकतीं। अदालत ने फैसला सुनाया कि वह अब स्कूल में प्रवेश नहीं कर सकती।
बता दें, अंकिता के खिलाफ आरोप थे कि उसने अपने पिता के प्रभाव का उपयोग करके अवैध रूप से शिक्षण कार्य किया। बबीता सरकार नाम की एक स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) परीक्षार्थी ने शिकायत की। अंकिता पर आरोप है कि उन्होंने SSC की मेधा तालिका में अपना नाम चढ़वाया और इसके बूते शिक्षक की सरकारी नौकरी हासिल की।
नवंबर 2017 में अंकिता का नाम एसएससी परीक्षा की दूसरी मेरिट लिस्ट में आया था। कथित तौर पर पहली मेरिट लिस्ट में टॉप 20 में नहीं रहीं अंकिता को ‘अवैध’ तरीके से दूसरी लिस्ट में पहले स्थान पर लाया गया। अंकिता ने एसएससी उम्मीदवार से 16 अंक कम प्राप्त किए जो मेरिट सूची में 20 वें नंबर पर थी। उनका स्कोर 77 था। जहां 20 नंबर की प्रत्याशी बबीता का नंबर 77 था। अंकिता का नाम मेरिट लिस्ट में डालकर बबीता ने नौकरी का मौका गंवा दिया।
तो वहीं हाल ही में, SSC से इस्तीफा देने वाले निवर्तमान अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने घटना के बारे में अदालत को सूचित किया। जिसके तुरंत बाद, कलकत्ता उच्च न्यायालच ने राज्य के शिक्षा मंत्री परेश को CBI के सामने पेश होने को कहा। बेटी की गैर-कानूनी तरीके से भर्ती को लेकर आज दिन में पूछताछ के लिए मंत्री CBI के दफ्तर पहुंचे थे। इससे एक दिन पहले भी यानी 19 मई को भी पूछताछ हुई थी। वहीं इस मामले में सूबे के उद्योग मंत्री से भी पूछताछ होनी है। CBI ने राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को पूछताछ के लिए अगले सप्ताह तलब किया है।