भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सक्सेना ने कहा कि दिल्ली के ‘शीशमहल’ पर कैग ने 139 सवाल उठाए हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के इशारे पर इसमें कई बातें छिपाई भी हैं। वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया कि ‘शीशमहल’ के बारे में कैग की रिपोर्ट में मात्र 33 करोड़ 66 लाख रुपये खर्च दिखाया गया है। यह आंकड़ा साल 2022 का है। ‘शीशमहल’ की पूरी हकीकत जानने के लिए पीडब्ल्यूडी और अन्य विभागों के खातों की जांच करनी होगी। इसके बाद सही खर्च की हकीकत पता चलेगी।
भाजपा के साथ कांग्रेस भी हुई हमलावर
अरविंद केजरीवाल के ‘शीशमहल’ वाले मुद्दे पर भाजपा के साथ कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो गई है। दिल्ली की पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता अलका लांबा ने अरविंद केजरीवाल से जवाब मांगा है। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में अलका लांबा ने कहा कि खुद को आम आदमी कहने वाले अरविंद केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास में टैक्स पेयर्स का 33 करोड़ रुपये खर्च कर दिया। अलका ने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में आने पर वादा किया था कि वो कोई बंगला, कार और अन्य सुविधाएं नहीं लेंगे। इसके बाद अपने आवास पर 33 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इसपर अरविंद केजरीवाल को सामने आकर जनता को जवाब देना चाहिए।
क्या है अरविंद केजरीवाल का शीशमहल विवाद?
दरअसल, भाजपा और कांग्रेस दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए बने सरकारी आवास के रिनोवेशन पर सवाल उठा रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को ‘शीशमहल’ कह रहे हैं। वहीं दिल्ली चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर खर्च की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई है। यह ऑडिट कैग ने किया है।
कैग की ऑडिट रिपोर्ट ने खोली पोल
CAG की ऑडिट रिपोर्ट में पता चला कि अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रिनोवेशन में प्रस्तावित लागत से तीन गुना अधिक खर्च किया गया। इसी को लेकर अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। अरविंद केजरीवाल के सीएम रहते हुए इस आवास की मरम्मत लोक निर्माण विभाग ने कराई थी। कैग की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार शुरू में इसके रिनोवेशन की लागत 7 करोड़ 91 लाख रुपये बताई गई थी। जबकि इसपर करीब 33 करोड़ रुपये खर्च की बात कही जा रही है।
दो साल में पूरा हुआ काम, 33 करोड़ से ज्यादा आई लागत
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने CAG जनरल गिरीश चंद्र मुर्मू की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इसे प्रकाशित किया है। जनरल गिरीश चंद्र मुर्मू 20 नवंबर 2024 को रिटायर हुए। इससे एक हफ्ते पहले ही उन्होंने इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर में बताया गया है कि तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए सरकारी आवास की मरम्मत का काम लोक निर्माण विभाग ने संभाला था। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार शुरू में आवास मरम्मत की लागत 7 करोड़ 91 लाख रुपये बताई गई थी, लेकिन साल 2020 में इसको लेकर दिल्ली सरकार ने 8 करोड़ 62 लाख रुपये का बजट आवंटित किया। इसके बाद साल 2022 में जब अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास का मरम्मत कार्य पूरा किया गया तो इसकी कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये हो गई।
कैग ने दर्ज कराई थी ये शिकायत
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ऑडिट के दौरान दिल्ली सरकार ने अपेक्षित दस्तावेज जमा करने में लापरवाही दिखाई। कैग ने इसकी शिकायत की थी। इसमें कैग ने बताया कि चालान के साथ आपूर्ति वाउचर के अभाव में ठेकेदारों द्वारा सप्लाई की गई सामग्री की वास्तविकता और रेट को वेरिफाई नहीं किया जा सका। इसके बाद दिल्ली सतर्कता निदेशालय को इसकी कथित अनियमितताओं की जांच सौंपी गई।
सीपीडब्ल्यूडी ने तीन इंजीनियरों को किया निलंबित
दूसरी ओर केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने सितंबर 2023 में इस मामले को लेकर प्रारंभिक एफआईआर भी दर्ज की थी। जबकि भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने बीते 6 दिसंबर 2024 को इस मामले में नई जांच का आदेश भी जारी किया है। जबकि सीपीडब्ल्यूडी ने अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास की मरम्मत के दौरान अनियमितता बरतने में कथित भूमिका के लिए तीन इंजीनियरों को निलंबित भी कर दिया है।