क्या है बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विवाद?
बीते दिनों राज्यसभा में चर्चा के दौरान
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पर एक टिप्पणी की थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था “आजकल आंबेडकर का नाम लेना एक फैशन बन गया है। अगर इतनी बार भगवान का नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” अमित शाह की इस टिप्पणी को कांग्रेस ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का अपमान बताते हुए हवा दे दी।
साथ ही कांग्रेस नेता नीले रंग के कपड़े पहनकर संसद पहुंचे थे और विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद देशभर में कांग्रेस, ‘आप’ समेत विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाते हुए भाजपा का घेराव करना शुरू कर दिया। हालांकि इसके बाद अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस पर बात का बतंगड़ बनाने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने कभी भी बाबा साहेब का अपमान नहीं किया और न कभी कर सकते हैं।
दिल्ली में आंबेडकर विवाद से किस पार्टी को ज्यादा फायदा?
इस विवाद का दिल्ली चुनाव में किस पार्टी को कितना फायदा मिल रहा है? ये जानने के लिए सी वोटर सर्वे एजेंसी ने 20 और 21 दिसंबर के बीच 1228 लोगों से टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान लोगों से इस विवाद के सियासी फायदे और नुकसान को लेकर सवाल पूछे गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में 26.5 प्रतिशत लोगों ने इस विवाद का सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी पार्टी को बताया। जबकि 22 प्रतिशत लोगों का मानना था कि इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। वहीं 15.9 प्रतिशत लोगों ने इस विवाद से कांग्रेस को फायदा बताया। हालांकि 25.1 प्रतिशत लोगों ने इस विवाद को निराधार बताते हुए कहा कि इस विवाद का दिल्ली चुनाव में कोई खास असर नहीं होगा।
दलित वोटर्स साधने में जुटी पार्टियों के लिए नकारात्मक संदेश
सी वोटर सर्वे में 14.3 प्रतिशत लोगों ने माना कि आंबेडकर विवाद का एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों को फायदा मिल सकता है। अब अगर हम पूरे नतीजे पर गौर करें तो इस विवाद पर जनमत बंटा हुआ नजर आ रहा है। यानी वोटर्स असमंजस की स्थिति में हैं। इसी के चलते वोटर्स किसी एक गठबंधन या पार्टी के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में पूरे दमखम के साथ दलित वोटर्स को साधने में जुटीं पार्टियों के लिए यह संकेत नकारात्मक साबित हो सकता है। हालांकि दिल्ली चुनाव को छोड़कर अन्य स्थितियों में इस विवाद को इंडिया ब्लॉक को फायदा मिलता दिख रहा है। देश की दो बड़ी पार्टियों की बात पर 31.3 प्रतिशत लोगों ने माना कि इस विवाद का इंडिया ब्लॉक को फायदा मिल सकता है। जबकि 30.4 प्रतिशत लोगों ने एनडीए के लिए फायदा बताया। ऐसे में अगर हम देश की बात करें तो यहां इंडिया ब्लॉक को थोड़ी बढ़त मिलती जरूर दिख रही है।