दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने क्या कहा?
दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा “दुखद है कि डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके बारे में मैं जो भी कहूं वह कम है। आज उनका भोग कार्यक्रम था। ऐसे मौके पर आज चुनावी माहौल में जो शिलान्यास या अन्य चीजें हुईं। उन्हें दूसरी पार्टियां एक दिन के लिए टाल सकती थीं। अगर आज देश आर्थिक शक्ति के रूप में जाना जाता है, तो इसका श्रेय डॉ. मनमोहन सिंह को जाना जाता है।”
बिना नाम लिए भाजपा को बताया असंवेदनशील
कांग्रेस के दिल्ली अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने आगे कहा “डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को उस समय प्रधानमंत्री के रूप में लीड किया। जब विश्व आर्थिक मंदी की चपेट में था। आज अगर देश का नाम पूरे विश्व में एक आर्थिक शक्ति के रूप में जाना जाता है तो उसमें भी डॉ. मनमोहन सिंह का बड़ा योगदान है। चाहे वो फाइनेंस सेक्रेटरी के रूप में हो, चाहे रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में हो। ऐसे समय में राजनीतिक गतिविधियों को थोड़ा विराम देकर डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी जाती तो ज्यादा बेहतर होता।”
उन्होंने आगे कहा “कुछ असंवेदनशील लोग हैं। जो इस तरीके का काम करते हैं। मैं तो यही कहूंगा कि ऊपर वाला सभी को शक्ति दे ज्ञान दे। वहीं मेमोरियल की डिमांड को लेकर उन्होंने कहा कि समय पर चीजें हों तो उसका महत्व अलग होता है। वहीं पर अंतिम संस्कार हुआ होता और वहीं उनका मेमोरियल बनता तो निश्चित ही पूरे विश्व में एक अच्छा संदेश जाता। उनके काम आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।”
अब जानिए क्या होता है भोग कार्यक्रम?
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सिख समुदाय से आते हैं। सिखों में किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति की मौत के बाद भोग समारोह आयोजित किया जाता है। यह वह समारोह अंतिम संस्कार के बाद होने वाला एक कार्यक्रम है। इसमें मृतक के घरवाले, रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग पहले गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ पूरा करते हैं। इसके बाद मौके पर मौजूद सभी लोगों को भोजन परोसा जाता है। भोग समारोह के दौरान संगीतकार शबद कीर्तन करते हैं। साथ ही सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के श्लोक भी पढ़े जाते हैं। इसके बाद, रामकली साद, भगवान की पुकार का पाठ किया जाता है। अंत में कड़ाह प्रसाद वितरित किया जाता है। भोग समारोह के बाद गुरु की रसोई से भोजन या लंगर भी परोसा जाता है। दस दिन तक चलता है गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ
सिख समुदाय में किसी की भी मौत होने पर मृतक के अंतिम संस्कार के बाद सबसे पहले परिवार के सदस्य गुरुद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं। इसके बाद परिवार के लोग सिखों के प्रमुख ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करने के लिए गुरुद्वारे में एकत्रित होते हैं। इस पाठ को अखंड पाठ कहा जाता है। यह पाठ तीन से 10 दिनों तक चलता है। इसके बाद इस पाठ में शामिल लोगों को कड़हा प्रसाद भी बांटा जाता है। प्रसाद बांटने के बाद फिर से भजन कीर्तन किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को भोग कार्यक्रम कहा जाता है।