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नई दिल्ली

असंगठित और दुर्बल रहना, दुष्टों के अत्याचार को निमंत्रण देना

– संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बांग्लादेश का हवाला देकर हिंदुओं को दी एकजुट रहने की सीख

मोहन भागवत ने देश में कट्टरता की घटनाएं बढ़ने और जुलूसों पर पथराव पर जताई चिंता

– संघ ने किया 100 वें साल में प्रवेश, विजयादशमी उत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में इसरो प्रमुख के राधाकृष्णन ने साझा किया संघ का मंच

नई दिल्लीOct 14, 2024 / 12:38 pm

Navneet Mishra

RSS chief Mohan Bhagwat will come to Rajasthan on a 5-day visit

RSS chief Mohan Bhagwat (File photo)

नवनीत मिश्र

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक ने शनिवार को संघ मुख्यालय पर आयोजित विजयादशमी उत्सव समारोह को संबोधित करते हुए बांग्लादेश तख्तापलट, हिंदुओं की एकुजटता, इजरायल-हमास संघर्ष से लेकर सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बांग्लादेश में हुई घटना का हवाला देते हुए विश्व भर के हिंदुओं की एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने ‘बलहीनों को नहीं पूछता, बलवानों को विश्व पूजता’पंक्ति का हवाला देते हुए कहा कि असंगठित रहना व दुर्बल रहना यह दुष्टों के द्वारा अत्याचारों को निमंत्रण देना है, यह पाठ भी विश्व भर के हिंदू समाज को ग्रहण करना चाहिए। भागवत ने कहा कि विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने कार्य के 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन ने भी मंच साझा किया।
डॉ. भागवत ने कहा कि बांग्लादेश में जो हिंसक तख्तापलट हुआ, वहां हिंदुओं पर अत्याचारों की परंपरा‌ को फिर से दोहराया गया। उन अत्याचारों के विरोध में वहां का हिंदू समाज इस बार संगठित होकर स्वयं के बचाव में घर के बाहर आया, इसलिए थोड़ा बचाव हुआ। परन्तु यह अत्याचारी कट्टरपंथी स्वभाव जब तक वहां विद्यमान है, तब तक वहां के हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के सिर पर खतरे की तलवार लटकी रहेगी। इसीलिए उस देश से भारत में होने वाली अवैध घुसपैठ व उसके कारण उत्पन्न जनसंख्या असंतुलन देश में गंभीर चिंता का विषय बना है। देश में आपसी सद्भाव व देश की सुरक्षा पर भी इस अवैध घुसपैठ के कारण प्रश्न चिन्ह लगते हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक बने हिंदू समाज को भारत सरकार और विश्वभर के हिंदुओं की सहायता की आवश्यकता होगी।
सरसंघचालक ने कहा कि भारत वर्ष की शक्ति जितनी बढ़ेगी उतनी ही भारत वर्ष की स्वीकार्यता रहेगी। उन्होंने देश में सहिष्णुता की वकालत करते हुए कहा कि वाणी या आचरण से किसी स्थान, महापुरुष, ग्रंथ, अवतार, संत आदि के अपमान से बचने की सलाह दी। सोशल मीडिया को उपयोग समाज को जोड़ने के लिए होना चाहिए, तोड़ने के लिए नहीं।
भागवत ने कहा कि आज पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख; समुद्री सीमा पर स्थित केरल, तमिलनाडु तथा बिहार से मणिपुर तक का सम्पूर्ण पूर्वांचल अस्वस्थ है। देश में बिना कारण कट्टरपन को उकसाने वाली घटनाओं में भी अचानक वृद्धि हुई दिख रही है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने इसे अराजकता का व्याकरण कहा है।
उन्होंने गणपति विसर्जन की शोभायात्राओं पर अकारण पथराव की घटनाएं के पीछे के तत्वों की पहचान पर शासन-प्रशासन की ओर से दंडित किए जाने पर जोर दिया। संचार माध्यमों में अश्लील विज्ञापनों को रोकने के लिए कानूनों की भी जरूरत जताई।
भागवत ने कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में घटी दुष्कर्म की को समाज को कलंकित करने वाली घटना बताया। भागवत ने आजकल चर्चित ‘डीप स्टेट’, ‘वोकिज़म’, ‘कल्चरल मार्क्सिस्ट’, जैसे शब्दों को सांस्कृतिक परम्पराओं का घोषित शत्रु बताया।
देश को बांटने की कोशिश करने की घटनाओं को लेकर कहा कि असंतोष को हवा देकर उस घटक को शेष समाज से अलग, व्यवस्था के विरुद्ध, उग्र बनाया जाता है। समाज में टकराव की संभावनाओं को फॉल्ट लाइन्स ढूंढ कर प्रत्यक्ष टकराव खड़े किए जाते हैं।

वाल्मीकि जयंती सिर्फ वाल्मीकि बस्ती में क्यों?

सरसंघचालक ने कहा कि वाल्मीकि जी ने रामायण तो पूरे हिंदू समाज के लिए लिखा। वाल्मीकि जयंती केवल वाल्मीकि बस्ती में ही क्यों हो? भगवान वाल्मीकि, रविदास की जयंती सब मिलकर क्यों नहीं मना सकते। मंदिर, श्मशान, पानी हर किसी के लिए खुले होने चाहिए। किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं होनी चाहिए।

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