दरअसल, ये अजीब गरीब मामला जिले के अंतर्गत आने वाले महू नीमच रोड पर स्थित श्रीराम अवतार मंदिर की ज़मीन से जुड़ा है। तहसीलदार ने पहले तो मंदिर की ज़मीन पर गैरकानूनी कार्य करने के चलते एक शख्स को दंडित किया था, लेकिन आदेश के कुछ ही घंटों के बाद उस गैरकानूनी कार्य को सही बताते हुए शख्स को दोष मुक्त करार दे दिया। अब इस मामले में पुलिस ने एक्शन लेते हुए तहसीलदार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज कर मामले को जांच में लिया है।
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नीमच में तहसीलदार मनोहर मोहन वर्मा के पास महू-नीमच रोड स्थित श्रीराम अवतार मंदिर की ज़मीन के परिसर में रमेश ढाक द्वारा गैरकानूनी सड़क बनाने का मामला आया था। मामला ये था कि रमेश ढाक की ज़मीन मंदिर से सटी हुई है। अपनी ज़मीन के रेट बढ़ाने के लिए रमेश ने मंदिर की जमीन पर कब्ज़ा कर परिसर से ही रोड निकाल दिया। इसपर पहले तो तहसीलदार मनोहर मोहन वर्मा ने अपने पहले आदेश में रमेश ढाक द्वारा बनाई सड़क को गैरकानूनी करार देते हुए मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत 5000 रुपए का जुर्माना लगाया।
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हालांकि, कुछ समय बाद ही तहसीलदार वर्मा ने एक और आदेश दिया, जिसमे उन्होंने सड़क को गैरकानूनी नहीं मानते हुए कहा कि पटवारी की रिपोर्ट, निरिक्षण और अन्य पहलुओं की समीक्षा के आधार पर पता चला है कि रमेश ढाक द्वारा कोई कब्ज़ा नहीं किया गया। तहसीलदार ने आगे ये भी कहा कि ये सड़क ग्रामीणों द्वारा उनकी सुविधा और कृषि के काम के लिए बनवाई गई है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
तहसीलदार के इन आदेशों को लेकर सुमित अहीर नाम के व्यक्ति ने लोकायुक्त में केस दर्ज कराया था। मामले की जांच पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार तालान को सौंपी गई। उन्होंने माना कि मंदिर की 8.66 हेक्टेयर वाली ज़मीन में से 1 हेक्टेयर जमीन पर रमेश ढाक ने कब्ज़ा कर रखा है। ऐसे में तहसीलदार द्वारा दिया गया दूसरा आदेश गलत साबित हुआ। इसपर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तहसीलदार मनोहर मोहन वर्मा और रमेश ढाक दोनों को आरोपी बनाया और दोनों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1981 की धारा 120बी और भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज किया है।