भारतीय बजट के जनक
भारत 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 26 नवंबर, 1947 को आरके शनमुखम चेट्टी ने आजाद भारत का पहला बजट पेश किया था। चेट्टी वित्तीय दिग्गज के साथ-साथ एक वकील भी थे। बजट में 15 अगस्त, 1947 से 31 मार्च, 1948 तक की अवधि शामिल थी। पहला बजट पेश करने के बाद शनमुखम चेट्टी को भारतीय बजट के जनक की उपाधि मिली थी।
1999 तक लागू था ब्रिटिश रूल
भारत भले ही 1947 में आजाद हो गया था, लेकिन साल 1999 तक भारत के बजट में ब्रिटिश रूल लागू था। दरअसल, 1999 तक बजट की घोषणा फरवरी के आखिरी वर्किंग डेज यानी 28 फरवरी को या 29 फरवरी को शाम 5 बजे के समय की जाती थी। बजट पेश करने की यह व्यवस्था ब्रिटिश रूल के मुताबिक थी। ब्रिटिश समय के मुताबिक वहां दोपहर का समय होता है तब भारत में शाम को 5 बज रहे होते हैं। तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने इस समय को बदलकर भारतीय समय के मुताबिक सुबह 11 बजे कर दिया था।
क्या थीं पहले केंद्रीय बजट की घोषणाएं
भारत का पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर 1947 मेंशनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। ये बजट में बिना किसी टैक्स प्रपोजल वाला था। बजट का कुल राजस्व लगभग 171.15 करोड़ रुपये था। उस समय का राजकोषीय घाटा लगभग 26.24 करोड़ रुपये का था। वर्ष के लिए कुल खर्च का अनुमान 197.29 करोड़ रुपये था। एक रिपोर्ट के अनुसार चेट्टी की ओर से पेश किए गए बजट स्टेटमेंट में 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च, 1948 तक साढ़े सात महीने की अवधि को शामिल किया गया था।
कौन थे शनमुखम चेट्टी
शनमुखम चेट्टी के पिता कोयंबूटर मिल के मालिक और व्यापारी थे। शनमुखम को प्रसिद्ध मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से डिग्री प्राप्त थी। उनके पिता चाहते थे कि वह सिविल सेवा में करियर बनाएं। वह कोयंबटूर नगर पालिका में पार्षद और उपाध्यक्ष भी बनें। बता दें कि वह साल 1920 और 1921 के बीच वह मद्रास विधास सभा के सदस्य थे। आजादी के बाद चेट्टी ने 1947 से 1949 तक भारत के वित्त मंत्री के तौर पर सेवाएं दी थीं। वित्त मंत्री के पदभार को संभालने से पहले चेट्टी 1933 से 1935 तक देश में केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष के पद पर थे। 5 मई, 1953 को दिल का दौरा पड़ने से चेट्टी की मृत्यु हो गई थी।