प्रसिद्ध योद्धा रानी वेलु नचियार के जीवन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
– रानी वेलु नचियार शाही उत्तराधिकारी के रूप में पली-बढ़ी थी। उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब अर्कोट के नवाब के बेटे के नेतृत्व में अंग्रेजों ने कलैयार कोइल युद्ध में उनके पति मुथु वदुगनाथ थेवर की हत्या कर दी। इस घटना के बाद रानी वेलु नचियार और उनकी बेटी को अपनी जमीन छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।
– अपनी जमीन छोड़कर भागने के बाद योद्धा रानी वेलु नचियार डिंडीगुल पहुंची। जहां उन्होंने अपने शासक गोपाल नायकर के अधीन आठ साल बिताए। सरकारी अभिलेखागार में बताया गया है कि वह वहां पर मैसूर के सुल्तान हैदर अली से मिली, जिन्हें उन्होंने अपनी धाराप्रवाह उर्दू और बुद्धि से प्रभावित किया।
– इसके बाद गोपाल नायकर और सुल्तान हैदर अली की सेना के समर्थन से वेलु नचियार ने अपने राज्य पर फिर से नियंत्रण करने के लिए निकल पड़ी। इस ऐतिहासिक घटना के बारे में कहा जाता है कि यह वेलु नचियार और उनके सैन्य कमांडर द्वारा तैयार की गई ‘आत्मघाती बमबारी का पहला उदाहरण’ है।
– वेलु नचियार अंग्रेजों द्वारा कब्जा किए गए किले के शस्त्रागार कक्ष में पहुंची। इसके बाद महिलाओं की एक टीम किले में पहुंची, जहां एक महिला ने खुद पर घी डालकर आग लगा लिया और फिर शस्त्रागार कक्ष में पहुंच गई।
– महिलाओं के बलिदान ने वेलु नचियार के लिए एक हमला शुरू करने और अपना राज्य वापस जीतने में मदद की। उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और ‘वीरमंगई’ की उपाधि अर्जित की। उन्हें समर्पित 2008 में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया है।