scriptभारत में ‘हम दो हमारा एक’ का ट्रेंड, 2050 तक घटेगी आबादी, रिपोर्ट में हुए कई खुलासे | Trend of Hum Do Hamara Ek in India, population will decrease by 2050, many revelations made in report | Patrika News
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भारत में ‘हम दो हमारा एक’ का ट्रेंड, 2050 तक घटेगी आबादी, रिपोर्ट में हुए कई खुलासे

लैंसेट की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में प्रजनन दर 1950 में 6.18 थी, जो 1980 में घटकर 4.6 पर आ गई। यह तेजी से घटते हुए 2021 में 1.91 पर आ गई। भारत में ‘हम दो हमारा एक’ के ट्रेंड से 2050 तक आबादी घटेगी।

Mar 22, 2024 / 01:31 pm

Shaitan Prajapat

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भारत में ‘हम दो हमारे दो’ पर अमल तेजी से घट रहा है। अब ज्यादातर जोड़े एक ही बच्चा चाहते हैं। इससे देश की जन्म दर में 2050 तक गिरावट आएगी। दुनियाभर की जन्म दर पर शोध के बाद लैंसेट ने अपनी रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक करीब-करीब सभी देशों में प्रजनन दर घट रही है। औसत वैश्विक प्रजनन दर 1950 में 4.84 थी, जो 2021 में 2.23 हो गई। सदी के अंत (2100) तक इसके 1.59 रह जाने के आसार हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में प्रजनन दर 1950 में 6.18 थी, जो 1980 में घटकर 4.6 पर आ गई। यह तेजी से घटते हुए 2021 में 1.91 पर आ गई। यह रिप्लेसमेंट लेवल (प्रतिस्थापन स्तर) से भी कम है। आबादी विशेषज्ञों का मानना है कि रिप्लेसमेंट लेवल के लिए प्रजनन दर कम से कम 2.1 होनी चाहिए। अनुमान है कि 2050 तक भारत में प्रजनन दर 1.29 रह जाएगी। इससे आबादी एकदम तो कम नहीं होगी, लेकिन उसमें युवाओं का अनुपात कम होता जाएगा। यह संकट 2100 तक और गहरा जाएगा। तेजी से शहरीकरण और गर्भ निरोधक तक लोगों की आसान पहुंच ने भी भारत में प्रजनन दर पर असर डाला है।

लैंगिक अनुपात भी गड़बड़ाने का खतरा

लैंसेट की रिपोर्ट अगर सही साबित होती है तो आने वाले दशकों में भारत के सामने बड़ी चुनौती होगी। जन्म दर में कमी से वर्कफोर्स पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों की आबादी ज्यादा हो जाएगी। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ पड़ेगा। लैंगिक अनुपात भी गड़बड़ाएगा, क्योंकि पहली संतान लडक़ा होने के बाद दूसरा बच्चा पैदा नहीं करने का ट्रेंड बढ़ रहा है।

इसलिए कम बच्चों पर जोर

विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में कम बच्चे पैदा करने की एक वजह यह भी है कि देश के विकास के साथ लोगों की आकांक्षाएं बढ़ी हैं। बच्चों पर लोग काफी खर्च कर रहे हैं। ज्यादा बच्चे होने पर खर्च ज्यादा होगा। इससे बचने के लिए लोग कम बच्चों पर जोर दे रहे हैं। महिलाओं के बड़े पैमाने पर शिक्षित होने और कॅरियर पर फोकस करने से भी जन्म दर पर असर पड़ा है। देर से शादी भी एक कारण है।

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