लागू होंगी विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशें
समिति ने परीक्षा का आयोजन हाइब्रिड और ऑनलाइन मोड में करने की भी सिफारिश की है। सिफारिश के अनुसार, जहां पूर्ण ऑनलाइन परीक्षा चुनौतीपूर्ण हो वहां पर हाइब्रिड मोड की आयोजित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के कार्यों की निगरानी कर समिति ने परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें दी हैं। सरकार ने बीते साल नीट-यूजी की परीक्षा कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की समीक्षा के लिए सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की थी।
विवाद के बाद गठित हुई समिति
पिछले साल नीट-यूजी में अनियमितताओं से उठे विवाद के बाद शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षाओं के पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन को सुनिश्चित करने के लिए 22 जून को इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की समिति का गठन किया था। समिति में राधाकृष्णन के अलावा रणदीप गुलेरिया, बीजे राव, राममूर्ति के, पंकज बंसल, आदित्य मित्तल और गोविंद जयसवाल शामिल हैं।
बड़े पैमाने पर गड़बड़ी नहीं पाई गई
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दो अगस्त को विवादास्पद नीट-यूजी 2024 को रद्द करने की मांग खारिज कर दी थी, जिसमें 23 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे। कोर्ट ने कहा था कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि बड़े पैमाने पर परीक्षा की पवित्रता भंग हुई है। अदालत ने 21 अक्टूबर को प्रक्रियागत खामियों को सुधारने के संबंध में गठित विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। संरचनात्मक बदलाव की भी सिफारिशें
1- सिक्योर्ड स्टैंडर्ड टेस्टिंग सेंटरः
समिति ने युद्ध स्तर पर 1000 प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों का चयन कर उन्हें ‘सिक्योर्ड स्टैंडर्ड टेस्टिंग सेंटर्स’ घोषित करने की सिफारिश की है, ताकि परीक्षा केंद्र के स्तर पर पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं की कोई आशंका नहीं रहे। अब तक निजी स्कूल-कॉलेजों में नीट-यूजी के अधिकांश परीक्षा केंद्र होते थे। इससे इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठे थे।
2- हाई पावर्ड स्टीयरिंग कमेटीः
184 पेज की रिपोर्ट को 10 भागों में विभाजित किया गया है। भाग 6 एवं भाग 7 में एजेंसी की कार्यप्रणाली में किए जाने वाले सुधारों के लिए सिफारिशें की गई हैं। भाग 6 में तुरंत प्रभाव से लागू किए जाने वाले सुधारों का उल्लेख है। जबकि भाग 7 में दीर्घकालिक सुधार उल्लेखित हैं। इन सुधारों को लागू करने के लिए एक हाई पावर्ड स्टीयरिंग कमेटी का गठन करने को कहा है।