इसलिए नहीं दी जा सकती जमानत
जस्टिस सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वह इस स्तर पर चिकित्सा आधार पर जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है और उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि अबूबकर की ओर से उठाई गई सभी चिकित्सा स्थितियों को विभिन्न उपचारों के माध्यम से अनुकूलित किया गया है और इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है।
इन आरोपों पर हुई गिरफ्तारी
अबूबकर को 22 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था। सरकार ने 28 सितंबर, 2022 को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत PFI और उसके कई सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया, उन पर इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक ऐण्ड सिरिया (ISIS) जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया। ये भी पढ़ें: Delhi CM आतिशी और संजय सिंह को बड़ा झटका, जारी हुआ मानहानी नोटिस, लगे ये आरोप कोर्ट में लगाई ये दलीलें
पूर्व PFI अध्यक्ष ई अबूबकर ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 28 मई, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए
सर्वोच्च न्यायालय (SC) का दरवाजा खटखटाया। हालांकि कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। अबूबकर ने कहा कि वह सत्तर साल के हैं और पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) से पीड़ित हैं और उन्होंने कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी भी करवाई है। अबूबकर के खिलाफ आरोपों में से एक यह है कि वह पहले प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़ा था और बाद में वह पीएफआई का अभिन्न अंग बन गया। वह PFI के बैंक खातों के संबंध में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता भी था।