केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड (संशोधन) बिल गुरुवार को लोकसभा में पेश किया। विपक्ष के विरोध के बाद उसे संसदीय समिति को भेज दिया गया है। इस बिल लेकर राजनेताओं और धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
मुसलमानों के हित में है संसोधन बिल उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष काशिश वारसी ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ये कोई सिसायी खेल नहीं है और ना ही मुसलमानों के खिलाफ है। इससे जिलाधिकारियों को और अधिक ताकत मिलेगी, जिससे गरीब जरूरतमंद मुसलमानों को फायदा पहुंचेगा। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल से उनका पेट पलना बंद होगा, जिनके पास करोड़ों की संपत्ति है और वो वक्फ बोर्ड के जमीनों पर कब्जा किए हुए हैं। ये बिल बिलकुल तीन तलाक कानून सुधार जैसा है। जिस तरह से महिलाओं को इससे फायदा हुआ था, घर बर्बाद होने से बचे थे, बिल्कुल वैसा ही कानून है वक़्फ़ संसोधन बिल। यह मुसलमानों के हित में है।
बिल का करेंगे अध्यन-मौलाना यासूब अब्बास ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर कहा, “संसद में पेश किया गया वक्फ बोर्ड संशोधन बिल अगर वक्फ बोर्ड के हित को लेकर है तो ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड इसका समर्थन करेगा, लेकिन अगर ये वक्फ बोर्ड के खिलाफ है तो ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड इसका पुरजोर विरोध करेगा।
वक्फ बोर्ड जमीनों का किराया नहीं देती सरकार-साजिद रशीदी मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना, साजिद रशीदी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर कहा, “भाजपा ने संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया है। इससे पहले 1954 में वक्फ एक्ट आया, सरकार ने सर्वे कराया और 1970 में गजेट पास हुआ। सरकार ने बताया कि ये जगह वक्फ बोर्ड की है और वक्फ बोर्ड इसको हस्तांतरित करे। इसके बाद सरकार ने हमारी जमीन हड़पनी शुरू की। हमारे पास ऐसी कई वक्फ बोर्ड जमीनों की लिस्ट है, जो सरकार और रेलवे के पास है। सरकार इसका किराया नहीं देती है और नहीं जमीन वापस करती है।”
उन्होंने आगे बताया कि 1995 में एक संशोधन एक्ट सामने आया, जिसके तहत नोटिस देकर वक्फ बोर्ड अपनी जमीन वापस ले सकता है। 2013 में ये लागू हुआ और फिर 2014 में भाजपा की सरकार आ गई। उसके बाद हालत ये हो गई कि वक्फ बोर्ड अपनी ही जमीन को वापस नहीं ले पा रहा है और ये लोग गुमराह कर रहे हैं।