scriptभारत में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या में भारी गिरावट, रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा | number of boys among newborns in India has decreased from 54 to 51.2 percent: The Pew Research Centre | Patrika News
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भारत में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या में भारी गिरावट, रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा

Newborns: भारत में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। प्यू रिसर्च सेंटर ने बताया कि देश में लड़कों की संख्या चार दशकों में 54 प्रतिशत से घटकर 51.2 प्रतिशत रह गई है।

नई दिल्लीJan 02, 2025 / 02:58 pm

Shaitan Prajapat

Newborns: भारत में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। स्वास्थ्य शोधकर्ताओं ने बताया है कि देश में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या चार दशकों में 54 प्रतिशत से घटकर 51.2 प्रतिशत रह गई है। शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा कि उत्तरी राज्यों सभी पैदा हुआ लड़कों का प्रतिशत अभी भी ज्यादा बना हुआ है।

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100 लड़कियों पर थे 110 लड़के

1980 के दशक के उत्तरार्ध से भारत का जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) विश्व स्तर पर सबसे अधिक रहा है। अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने 2022 की रिपोर्ट में अनुमान, पिछले दो दशकों में भारत का एसआरबी 100 लड़कियों पर 110 लड़के थे, जो चीन (115), आर्मेनिया (114) और वियतनाम (111) के बराबर है।

लिंग जांच में आई गिरावट

पुरुष बच्चों के लिए प्राथमिकताएं और अल्ट्रासाउंड स्कैन सहित प्रसवपूर्व निदान तकनीकों के प्रसार ने 1980 के दशक के उत्तरार्ध से भारत के SRB में गिरावट में योगदान दिया। 1994 में कानून निर्माताओं ने भ्रूण के लिंग प्रकटीकरण पर प्रतिबंध नहीं लगा दिया है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने चिंता जाहिर की है। उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान होने के बावजूद प्रसवपूर्व लिंग प्रकटीकरण जारी रहा है। इससे महिला भ्रूणों का चयनात्मक गर्भपात हो रहा है।

पंजाब और हरियाणा में लिंगानुपात ज्यादा

नए शोध से पता चला है कि SRB वांछित दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन समान रूप से नहीं। समग्र गिरावट के बीच सबसे अमीर घरों में जन्म के समय असामान्य रूप से उच्च अनुपात में पुरुष दिखाई देते हैं। 2012-21 की अवधि के दौरान, नवजात बच्चों में लड़कों का प्रतिशत सबसे अमीर घरों में 52.8, मध्यम वर्ग के घरों में 52.1 और सबसे गरीब घरों में 51.1 था। भारत के उत्तरी क्षेत्रों में भी पुरुष जन्मों का उच्च अनुपात बना हुआ है, जिसमें पंजाब और हरियाणा शामिल हैं।
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अमीर लोगों को लेकर हुआ ये खुलासा

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले अमेरिका में जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एसोसिएट रिसर्च प्रोफेसर दिवाकर मोहन ने कहा कि अमीर घरों और उत्तरी राज्यों में उच्च एसआरबी स्तर देखना आश्चर्यजनक नहीं था। मोहन ने कहा कि जब प्रतिबंध लागू हुआ, तो जन्मपूर्व लिंग जांच प्रक्रिया भूमिगत हो गईं। ऐसी परिस्थितियों में जिनके पास पैसा है, जिनके पास संपर्क हैं। उनके लिए पहुंच आसान है।

2011-2021 में आई गिरावट

अध्ययन में पाया गया है कि उत्तरी क्षेत्र के सबसे धनी परिवारों ने 1995-2003 की अवधि के दौरान पुरुष जन्मों के अनुपात में वृद्धि में सबसे अधिक योगदान दिया था। इससे पहले कि वे 2004-2011 और 2011-2021 की अवधि में घटने लगे। मोहन और उनके सहयोगियों ने अपने निष्कर्ष साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित किए हैं।

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