पानीपत में दीवाना स्टेशन के पास हुआ था ब्लास्ट-
समझौता एक्सप्रेस ट्रेन सप्ताह में दो दिन भारत-पाकिस्तान के बीच चलती थी। 18 फरवरी 2007 को पानीपत जिले में दीवाना स्टेशन के पास इस ट्रेन में बम धमाका हुआ था। ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था।
मरने वालों में अधिकतर लोग पाकिस्तान के थे
हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी। ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे। धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे। मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे। धमाके के बाद ट्रेन की दो बोगियां बुरी तरह जल गई थी।
19 मृतकों की आज तक नहीं हो सकी पहचान-
इस धमाके में 13 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। हादसे में मारे गए 68 लोगों में से 49 की ही पहचान हो पाई। जबकि 19 मृतक आज भी अज्ञात ही हैं। मृतकों के शवों को घटना स्थल से करीब 10 किलोमीटर दूर गांव महराणा के कब्रिस्तान में दफनाया गया है।
आरोपी बनाए गए 8 लोग हो चुके बरी-
समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए धमाके के मामले में आरोपी बनाए गए 8 लोग बरी हो गए हैं। यहां बड़ा सवाल आज भी सुलग रहा है कि वे 19 अज्ञात लोग कौन मरे हैं, जिनकी आज भी पहचान नहीं हो पाई है। मामले की जांच NIA ने भी की। मगर कुछ हासिल न हुआ।
सूटकेस कवर के जरिए इंदौर से जु़ड़े थे ब्लास्ट के तार-
समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट के मामले में 15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। ट्रेन में बरामद हुए दो सूटकेस बम के कवर के सहारे पुलिस इनतक पहुंची थी। ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले खरीदी गई थीं।
स्वामी असीमानंद को बनाया गया था आरोपी
समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट मामले की जांच में ‘अभिनव भारत’ नामक संगठन के शामिल होने के संकेत मिले थे। इसके बाद स्वामी असीमानंद को मामले में आरोपित बनाया गया। एनआइए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था। जांच एजेंसी का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे।
16 साल बाद भी मृतक के परिजनों को नहीं मिला न्याय-
जुलाई 2018 में स्वामी असीमानंद समेत पांच लोगों को हैदराबाद स्थित मक्का मस्जिद में धमाके करने की साज़िश रचने के आरोप से बरी कर दिया था। इससे पूर्व मार्च 2017 में एनआइए की अदालत ने 2007 के अजमेर विस्फोट में सबूतों के अभाव में असीमानंद को बरी कर दिया था। आज घटना के 16 बाद भी इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को न्याय नहीं मिल सका है।
यह भी पढ़ें – समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस: सबूतों के अभाव में असीमानंद समेत सभी 4 आरोपी बरी