अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार
लोकसभा, राज्यसभा में पारित होने के बाद इसे अब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून बन जाएगा। इसके बाद देश की संसद और दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। 33 फीसदी में से एक तिहाई सीट अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए होगी। अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को इसमें कोई लाभ नहीं मिलेगा।
अभी 2029 का करना होगा इंतजार
महिलाओं की एक लड़ाई तो पूरी हो गई लेकिन अधिकार मिलने का रास्ता अभी लंबा है। मात्र 15 साल के लिए मिला यह आरक्षण नए परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। परिसीमन से पहले जनगणना करानी होगी। 2021 की जनगणना लंबित है। अगली गणना 2031 में होनी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि 2024 के बाद जनगणना और परिसीमन कराएगी। दोनों कार्य को करने में दो से तीन साल लगेंगे। ऐसे में 2029 से ही इसका लाभ मिलना शुरू होगा।
अभी सिर्फ 78 महिला सांसद
अभी 542 संसद सदस्यों में 78 महिला ही सांसद हैं। वहीं राज्यसभा के 224 सदस्य में से 24 महिला सांसद हैं। देश की 19 राज्यों की विधानसभा में भी 10 फीसदी से कम महिलाएं हैं। भारत में इस समय केवल पश्चिम बंगाल में ही महिला मुख्यमंत्री हैं। करीब 14 फीसदी विधायक भी महिला हैं। सबसे ज्यादा महिला विधायक छत्तीसगढ़ में हैं। यहां 14.44 फीसदी महिला विधायक हैं।