‘तकनीक क्रांति’
चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी राजीव गांधी अपने भाषणों में हमेशा 21वीं सदी में तरक्की का जिक्र किया करते थे। राजीव गांधी का मानना था कि टेक्नोलॉजी के सहारे देश में बदलाव किया जा सकता है। इस बाबत राजीव गांधी ने टेलीकॉम और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर्स में काफी काम करवाया। राजीव गांधी के नाम तकनीक क्रांति के बीज बोने का श्रेय भी जाता है।
विश्वस्तरीय आईटी कंपनियां खोलने की मिली प्रेरणा
राजीव गांधी की सरकार ने देश में पूरी तरह असेंबल किए हुए मदरबोर्ड और प्रोसेसर लाने की अनुमति दी थी। सरकार के इस फैसले के कारण देश में कम्प्यूटर सस्ते हुए। राजीव गांधी के प्रयास से ही नारायण मूर्ति और अजीम प्रेमजी जैसे लोगों को विश्वस्तरीय आईटी कंपनियां खोलने की प्रेरणा मिली। इसके अलाव टेलीकॉम सेक्टर में भी राजीव गांधी ने क्रांति लाई थी।
राजीव गांधी की ऐतिहासिक चीन यात्रा
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दिसंबर 1988 में चीन की यात्रा की थी। राजीव गांधी के इस दौरे से भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य होने में काफी मदद भी मिली। सीमा विवादों के लिए चीन के साथ मिलकर बनाई गई ज्वाइंट वर्किंग कमेटी शांति की दिशा में यह एक ठोस कदम थी। ऐसा कहा जाता है कि चीनी प्रीमियर डेंग शियोपिंग के साथ राजीव गांधी की खूब बनती थी।
डेंग से लंबी मुलाकात
चीन दौरे के दौरान राजीव गांधी ने डेंग से करीब 90 मिनट तक मुलाकात की थी। इस दौरान डेंग ने राजीव गांधी से कहा था कि तुम युवा हो और भविष्य भी हो। आपको यहां बता दें कि डेंग कभी किसी विदेशी राजनेता से इतनी लंबी मुलाकात नहीं करते थे। लिहाजा राजीव गांधी का चीन दौरा काफी ऐतिहासिक रहा था।
देश में ईवीएम मशीन की शुरुआत
इसके अलावा राजीव गांधी ने कुछ और ऐसे काम किए, जिनकी चर्चाएं आज भी देश में होती है। खासकर, मतदाताओं की उम्र सीमा घटना। पंचायती राज के लिए संघर्ष, अर्थव्यवस्था के सेक्टर्स को खोलना और ईवीएम मशीनों की शुरुआत करना इनमें शामिल हैं।