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बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश, भीड़ वाली ट्रेन से गिरकर जख्मी होने वाले यात्री को रेलवे दे मुआवजा

भारतीय रेलवे रोजाना लाखों यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुंचाने का काम करती है। यही वजह है कि रेलवे को देश की लाइफ लाइन भी कहा जाता है। हालांकि आए दिन हम ये खबर देखने सुनते या पढ़ते हैं कि भीड़ वाली ट्रेनों से गिरकर कई लोग घायल हो गए। लेकिन अब कोर्ट ने इस तरह की घटना होने पर रेलवे को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

Apr 27, 2022 / 12:54 pm

धीरज शर्मा

Railways Pay Compensation To Passenger Injured After Falling From Crowded Train: Bombay HC

Railways Pay Compensation To Passenger Injured After Falling From Crowded Train: Bombay HC

आप भी रेल से यात्रा करते हैं तो आपके लिए ये काम की खबर हो सकती है। दरअसल रोजाना लाखों लोग रेल से यात्रा करते हैं। लेकिन कई बार ये देखने को मिलता है कि ट्रेनों में क्षमता से अधिक भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में भीड़ बढ़ने से कई बार लोग ट्रेन से गिरकर बुरी तरह घायल हो जाते हैं या फिर उनकी मौत हो जाती है। लेकिन अब इस तरह हादसों को लेकर कोर्ट ने एक्शन लिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेल यात्रियों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि लोकल ट्रेन मुंबई की लाइफ लाइन है अगर कोई यात्री भीड़वाली ट्रेन में चढ़ने वक्त गिर जाता है और घायल हो जाता है तो यह अप्रिय घटना के दायरे में आएगी और रेलवे को इसका भुगतान करना होगा।
दरअसल अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया है। इसके तहत कोर्ट ने वेस्टर्न रेलवे को एक 75 वर्षीय व्यक्ति को 3 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। बुजुर्ग भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन में यात्रा करने के दौरान गिर गए थे और उनके पैर में चोट आ गई थी।

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क्या था रेलवे का तर्क?
मामले की सुनवाई के दौरान रेलवे ने कोर्ट में अपना तर्क दिया कि, यात्री भीड़ वाली ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहा था। रेलवे ने बताया कि बुजुर्ग व्यक्ति चलती ट्रेन में चढ़ने के प्रयास कर रहा था. इस वजह से वह हादसे का शिकार हो गए।

यही नहीं पश्चिम रेलवे ने हाईकोर्ट को ये भी तर्क दिया कि, यह मामला अधिनियम की धारा 124(ए) के प्रावधानों के तहत नहीं आता है। यात्री रेलवे की ओर से बनाए गए नियमों का भी उल्लंघन कर रहा था। यही वजह है कि रेलवे की ओर से इस यात्री को मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए।

रेलवे के तर्क पर कोर्ट का जवाब
उच्च न्यायालय ने रेलवे की ओर से दिए गए सभी तर्कों को नकार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से अधिनियम की धारा 124(ए) के प्रावधानों के अंतर्गत आता है। यही नहीं अदालत ने ये भी कहा कि, इस धारा के तहत किसी भी पीड़ित को मुआवजा देने की बात बताई गई है।

बॉम्बे हाईखोर्ट ने कहा कि ट्रेनों में भीड़ होने के वजह से यात्री गाड़ी में चढ़ने के दौरान धक्का-मुक्की करते हैं। ऐसे में कोई यात्री ट्रेन से गिरकर घायल हो जाता है तो उसे मुआवजा मिलना ही चाहिए और इसके लिए रेलवे उत्तरदायी है।

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