यह भी पढ़ें – ट्रेन में भूलकर भी न करें ऐसी गलती, जुर्माने के साथ जाना पड़ सकता है जेल क्या था रेलवे का तर्क?
मामले की सुनवाई के दौरान रेलवे ने कोर्ट में अपना तर्क दिया कि, यात्री भीड़ वाली ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहा था। रेलवे ने बताया कि बुजुर्ग व्यक्ति चलती ट्रेन में चढ़ने के प्रयास कर रहा था. इस वजह से वह हादसे का शिकार हो गए।
यही नहीं पश्चिम रेलवे ने हाईकोर्ट को ये भी तर्क दिया कि, यह मामला अधिनियम की धारा 124(ए) के प्रावधानों के तहत नहीं आता है। यात्री रेलवे की ओर से बनाए गए नियमों का भी उल्लंघन कर रहा था। यही वजह है कि रेलवे की ओर से इस यात्री को मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने रेलवे की ओर से दिए गए सभी तर्कों को नकार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से अधिनियम की धारा 124(ए) के प्रावधानों के अंतर्गत आता है। यही नहीं अदालत ने ये भी कहा कि, इस धारा के तहत किसी भी पीड़ित को मुआवजा देने की बात बताई गई है।
बॉम्बे हाईखोर्ट ने कहा कि ट्रेनों में भीड़ होने के वजह से यात्री गाड़ी में चढ़ने के दौरान धक्का-मुक्की करते हैं। ऐसे में कोई यात्री ट्रेन से गिरकर घायल हो जाता है तो उसे मुआवजा मिलना ही चाहिए और इसके लिए रेलवे उत्तरदायी है।
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