बता दें, दो दिन पहले सामने आया था कि चीन पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पैंगोंग त्सो झील पर एक दूसरे पुल का निर्माण कर रहा है। सैटेलाइट इमेज और मामले के जानकार लोगों के हवाले से यह जानकारी सामने आई थी। दो साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के बीच पुल का निर्माण किया जा रहा है।
राहुल गांधी हमेशा से ही चीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते आए हैं। फिर चाहे वो गलवान घाटी का मामला हो या फिर चीनी सैनिकों की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की खबरें, हर बार राहुल गांधी ने सरकार से सवाल पूछे हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “चीन ने पैंगोंग पर जब पहला पुल बनाया तब भारत सरकार ने कहा, ‘हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।’ अब चीन पैंगोंग पर दूसरा पुल बना रहा है। भारत सरकार फिर से कह रही है, ‘हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए।”
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास चीन के दूसरा पुल बनाने की खबरें आने के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से जवाब आया. जिसमें कहा गया कि खबरों के अनुसार जिस स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, वह क्षेत्र दशकों से उस देश के कब्जे में है और भारत ऐसे घटनाक्रम पर नजर रखता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की मार्च में की गई टिप्पणी का भी संदर्भ दिया जिसमें केन्द्रीय मंत्री ने कहा था कि अप्रैल 2020 से चीन की तैनाती के बाद से पैदा ‘तनाव और संघर्ष’ सामान्य संबंधों के माध्यम से दूर नहीं हो सकता है। बागची ने कहा, “हमने पुल से जुड़ी खबरें देखी हैं। यह सेना से जुड़ा मुद्दा है, हम इसे चीन के कब्जे वाला क्षेत्र मानते हैं। रक्षा मंत्रालय इस संबंध में विस्तार से टिप्पणी कर सकेगा।” अब इसी जवाब पर राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोला है।