scriptराष्ट्रपति Droupadi Murmu ने रेप पर फैसले में देरी पर कहा, पीढ़ी गुजरने के बाद फैसले आते हैं तो…, CJI चंद्रचूड़ ने समाधान पर कही ये बड़ी बात | President Droupadi Murmu When rape verdicts are passed after generations common people feel lack of sensitivity in the judicial process CJI Chandrachud said a big thing | Patrika News
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राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने रेप पर फैसले में देरी पर कहा, पीढ़ी गुजरने के बाद फैसले आते हैं तो…, CJI चंद्रचूड़ ने समाधान पर कही ये बड़ी बात

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला स्तर पर न्यायिककर्मियों के 28 और गैर न्यायिक कर्मचारियों के 27 फीसदी पद खाली हैं।

नई दिल्लीSep 02, 2024 / 01:07 pm

स्वतंत्र मिश्र

देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud) ने न्यायिक सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तरपर भर्ती करने पर जोर देने की बात की। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब न्यायिक सेवा में भर्ती पर राष्ट्रीय एकीकरण के बारे में सोचा जाए जो क्षेत्रवाद और राज्य स्तर के चयन की संकीर्णता से परे हो। जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में सीजेआई ने कहा कि पूरे देश में भर्ती कैलेंडर को निर्धारित करने की आवश्यकता है ताकि समय पर खाली पद भरना सुनिश्चित हो सके।

सीजेआई ने बताया कितने पद कहां हैं खाली

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Droupadi Murmu) की मौजूदगी में सीजेआई ने कहा कि जिला स्तर पर न्यायिककर्मियों के 28 प्रतिशत और गैर-न्यायिक कर्मचारियों के 27 प्रतिशत पद खाली हैं। मुकदमों के निस्तारण की संख्या नए दर्ज होने वाले मामलों से बढ़ाना कुशल लोगों की भर्ती पर निर्भर करता है। सीजेआई ने पुराने लंबित मुकदमों को कम करने के रोडमैप का भी जिक्र किया। उन्हाेंने एक बार फिर न्यायपालिका में महिलाओंं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर देते हुए सवाल किया कि क्या जिला स्तर पर न्यायालयों का केवल 6.7% बुनियादी ढांचा ही महिला-अनुकूल होना स्वीकार्य है? कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण भी किया। समारोह में जस्टिस सूर्यकांत और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।

‘गरीब लोग अदालत जाने से डरते हैं’

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने मुर्मु ने कहा कि लंबित मामलों और लंबित मामलों की संख्या न्यायपालिका के सामने एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि बलात्कार (Rape) जैसे जघन्य अपराध में जब फैसले पीढ़ी गुजरने के बाद आते हैं तो आम आदमी को न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता की कमी लगती है। गांव के गरीब लोग अदालत जाने से डरते हैं। उन्हें लगता है कि न्याय के लिए लड़ना उनके जीवन को और अधिक कष्टमय बना सकता है। कई लोग कल्पना भी नहीं कर सकते कि स्थगन की संस्कृति के कारण गरीब लोगों को कितना दर्द होता है। इस स्थिति को बदलने के लिए हरसंभव उपाय किए जाने चाहिए।

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