सभी मछुआरे परिजनों के साथ मनाएंगे त्योहार की खुशियां
यह सभी मछुआरे करीब सवा हजार किलोमीटर की दूरी तय कर शुक्रवार दोपहर बाद तक लाहौर रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां से बाद में वे बस के माध्यम से वाघा बॉर्डर पहुंचाए गए। उधर, रिहा भारतीय मछुआरों को लेने के लिए गुजरात मत्स्य विभाग की टीम भी गुरुवार को पहले अमृतसर और बाद में अटारी बॉर्डर पहुंची। टीम में शामिल पोरबंदर मत्स्य विभाग के सहायक अधीक्षक परवेज भाई ने बताया कि सभी मछुआरों के वाघा बॉर्डर के लिए रवाना होने की जानकारी मिली है। इधर, अटारी बॉर्डर पर रिहा होकर लौट रहे मछुआरों से संबंधित दस्तावेजी प्रक्रिया पंजाब पुलिस व भारतीय सेना के साथ मिलकर पूरी की। शुक्रवार को सुपुर्दगी के बाद सभी अमृतसर रेलवे स्टेशन से वडोदरा के लिए रवाना हो गए।
दीव के 3, बाकी 77 गुजरात के
पाकिस्तान से लौट रहे सभी 80 मछुआरे गुजरात के हैं। इनमें 3 केंद्रशासित प्रदेश दीव के हैं, जबकि सबसे ज्यादा गिरसोमनाथ जिले के 59 हैं। इनके अलावा देवभूमि द्वारका के 15, जामनगर के 1 और अमरेली जिले के 2 मछुआरे हैं। इनमें सबसे कम उम्र 15 साल का द्वारका तहसील के बेयत गांव का इरफान है, जबकि सर्वाधिक उम्र 67 वर्ष के उना तहसील में कोब गांव के भीमाभाई मजेठिया का नाम है।
सितंबर और नवंबर 2020 में पकड़े गए थे
सभी 80 मछुआरों को पाकिस्तान मरीन सिक्युरिटी एजेंसी ने वर्ष 2020 के सितंबर और नवंबर में अरबसागर में मत्स्याटन के दौरान पकड़ा था। रिहा होने वालों में 54 मछुआरे वे हैं, जिनको एक ही दिन 15 सितंबर 2020 को पकड़ा गया था। यह सब राजमोती, मत्स्यराज, देववंदना, रासबिहारी, राजमिलन, गंगासागर, दिव्यसागर, मीतसागर और वीर पालघर नामक नौ बोट में सवार थे।