देश के लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिल पाया है, लेकिन सहयोगी दलों को मिली सीटों को मिलाकर आंकड़ा बहुमत के अंक को पार कर गया है। आंध्रप्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी सबसे बड़े सहयोगी दल के रूप में सामने आई है। आंध्रप्रदेश में 25 लोकसभा सीटें हैं। टीडीपी ने अकेले 16 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा को 3 और जनसेना को 2 सीटों पर बढ़त मिली है। वाइएसआरसीपी 4 सीटों पर ही सिमट गई।
वाइएसआरसीपी का सूपड़ा साफ इसी तरह विधानसभा चुनाव में भी यहां सत्तारूढ़ दल वाइएसआरसीपी का सूपड़ा साफ हो गया है। विधानसभा की 175 सीटों में से टीडीपी को 135 सीटों पर जीत मिली है। सहयोगी दल जनसेना को 21 और भाजपा को 8 सीटों पर जीत मिली है। वाइएसआरसीपी केवल 11 सीटों पर सिमट गई है। कांग्रेस का यहां खाता ही नहीं खुल पाया है। आंध्रप्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा के भी चुनाव हुए हैं। ऐसे में टीडीपी के सामने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के साथ ही राज्य में सत्ता में वापसी की चुनौती थी।
एनडीए को भी आंध्रप्रदेश में सहयोगी दल की जरूरत थी, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का आंध्रप्रदेश में खाता ही नहीं खुल पाया था। ऐसे में भाजपा ने इस बार यहां टीडीपी और जनसेना के साथ गठबंधन के लिए हाथ आगे बढ़ाया। तीनों दलों के बीच सीट शेयरिंग की बात तय होने के बाद गठबंधन हो गया। गठबंधन होने के तत्काल बाद ही यहां तीनों दलों ने मिलकर आक्रामक प्रचार अभियान शुरू किया था।
जगनमोहन सरकार की विफलताओं को मुद्दा बनाया भाजपा-टीडीपी-जनसेना गठबंधन ने जगनमोहन सरकार की विफलताओं को मुद्दा बनाया। इन तीनों दलों ने मिलकर राज्य सरकार के विरोध में चल रही लहर को तेजी से फैलाया। जगनमोहन रेड्डी और उनकी बहन वाइएस शर्मिला के बीच चल रहे विवाद को भी अपने पक्ष में भुनाने मेंभाजपा-टीडीपी-जनसेना गठबंधन ने कोई कसर नहीं छोड़ी।