दलित विरोधी है कांग्रेस- भाजपा
भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों सहित भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि दलितों और अंबेडकर के प्रति कांग्रेस की ‘नफरत’ नई नहीं है। विपक्षी दल अभी भी लेख का समर्थन करके उनकी विरासत को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पित्रोदा ने दावा किया है कि यह नेहरू थे जिन्होंने अंबेडकर की तुलना में संविधान के निर्माण में अधिक योगदान दिया था। मेघवाल ने कहा कि हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और कांग्रेस से पूछते हैं कि क्या वह अपनी टिप्पणी पर कायम है। उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया मानती है कि बीआर अंबेडकर ने संविधान के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी और उनके योगदान पर पित्रोदा की टिप्पणी बाबा साहेब का अपमान करने की कांग्रेस की मानसिकता का प्रतिबिंब है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि कांग्रेस “अंबेडकर विरोधी और दलित विरोधी है। कांग्रेस की दलित विरोधी सोच का सबूत एक बार फिर सामने आ गया है।” पूनावाला ने पित्रोदा की टिप्पणी को झूठ करार दिया और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछा कि क्या उनकी पार्टी के नेता वास्तव में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के ‘मन की बात’ व्यक्त करते हैं। बीजेपी के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर कहा कि राहुल गांधी के करीबी सहयोगी और गुरु सैम पित्रोदा ने बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान किया। भारत के संविधान को तैयार करने में उनके योगदान को कमतर आंका और कांग्रेस की तरह सभी चीजों का श्रेय नेहरू को दिया। दलितों और डॉ. अंबेडकर के प्रति कांग्रेस की नफरत नई बात नहीं है। कांग्रेस ने तब भी उनकी विरासत को मिटाने की कोशिश की थी और अब भी कर रही है।
सुधींद्र कुलकर्णी ने कही ये बात
सुधींद्र कुलकर्णी ने ऐतिहासिक साक्ष्यों और अंबेडकर के बयानों का हवाला देते हुए संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में अपनी भूमिका के प्रति अंबेडकर की अस्वीकृति पर प्रकाश डाला। एक पोस्ट में भी उन्होंने लिखा कि संविधान और इसकी प्रस्तावना में किसने अधिक योगदान दिया? जबाव अंबेडकर नहीं, नेहरू है। उन्होंने कहा, ‘बाबा साहेब का दिया हुआ संविधान- डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के जनक हैं” हमारे देश के आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा मिथ्याकरण है। उन्होंने आगे कहा कि आमतौर पर यह माना जाता है कि डॉ. बीआर अंबेडकर भारतीय संविधान के जनक थे। लेकिन, अगर आप इतिहास के तथ्यों की जांच करें तो यह सच्चाई से बहुत दूर है।
साथ ही कहा कि एक अध्ययन से पता चला है कि हमारे पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का योगदान डॉ. अंबेडकर से कहीं अधिक था। वास्तव में अंबेडकर ने खुद कहा है कि यह उनका संविधान नहीं था।उन्होंने राज्यसभा में और पूना डिस्ट्रिक्ट लॉ लाइब्रेरी के समक्ष अंबेडकर के भाषणों का हवाला दिया, जहां अंबेडकर ने संविधान को खत्म करने या फिर से इसका मसौदा तैयार करने की इच्छा व्यक्त की थी और इसके लेखकत्व से खुद को अलग कर लिया था। इस विवाद ने भारत के संवैधानिक इतिहास में नेहरू और अंबेडकर की भूमिकाओं के बारे में भी बहस फिर से शुरू कर दी है।
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