इससे पहले खबर आई थी कि कुतुब मीनार के पास स्थित मस्जिद से 15 मीटर की दूरी पर खुदाई की जा सकती है। मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने शनिवार को इसके लिए हाईलेवल मीटिंग भी की है। कुतुब मीनार में 1991 में अंतिम बार खुदाई का काम हुआ था। बता दें कुतुब मीनार परिसर में खुदाई के निर्णय से पहले 21 मई को संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने 12 लोगों की टीम के साथ परिसर का दौरा किया था। टीम में इतिहासकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों के साथ रिसर्चर भी शामिल थे।
बताते चलें, कुतुब मीनार में मंदिर होने और देवी-देवताओं की मूर्तियों को अपमानित तरीके से रखने का विवाद दशकों पुराना है। कुछ दिन पहले कुतुब मीनार में रखी भगवान गणेश की मूर्तियों पर भी विवाद हुआ था। महरौली से बीजेपी की पार्षद आरती सिंह ने मूर्तियों को कुतुब मीनार में सही स्थान पर रखकर वहां पूजा करवाने की मांग की थी।
तो वहीं अब ज्ञानवापी मस्जिद के बीच कुतुब मीनार को लेकर भी विवाद पैदा हो गया था। एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने दावा किया कि कुतुब मीनार का निर्माण कुतुब अल-दीन ऐबक ने नहीं बल्कि राजा विक्रमादित्य ने कराया था। साथ ही यह भी दावा किया गया ता कि यह एक वेधशाला थी।
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IFS विवेक कुमार बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव साथ ही हिंदू संगठन का दावा है कि कुतुब मीनार असल में विष्णु स्तम्भ है और मुस्लिम आक्रांताओं ने यहां मौजूद दर्जनों जैन-हिंदू मंदिरों को तोड़ा था और वहां मस्जिद का निर्माण करवाया था। बीते कुछ महीनों से हिंदू समर्थित दलों ने कुतुब मीनार के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ भी शुरू कर दिया था। लोगों का कहना है कि कुतुब मीनार विष्णु स्तम्भ था और इस स्थान का नाम बदल देना चाहिए।
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