गांधी परिवार की चौथी महिला सांसद
प्रियंका संसद पहुंचने वाली गांधी परिवार की 9वीं सदस्य और चौथी महिला सदस्य हैं। प्रियंका से पहले गांधी परिवार से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी सियासत में उतर चुके हैं। गांधी परिवार की महिला के तौर पर इससे पहले उनकी दादी और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और चाची मेनका गांधी लोकसभा सांसद चुनी गई थीं।
महिलाएं भी बनीं प्रियंका की जीत का एक फैक्टर
वायनाड, मलप्पुरम और कोझिकोड जिलों में फैला वायनाड संसदीय क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है। अपनी स्थापना के बाद से, इस निर्वाचन क्षेत्र से केवल कांग्रेस के ही सांसद चुने जाते रहे हैं। मतदाताओं के साथ कांग्रेस के जुड़ाव, खास तौर पर गांधी परिवार के प्रति लगाव ने निर्णायक भूमिका निभाई। कांग्रेस ने प्रियंका को अगली इंदिरा गांधी के रूप में प्रस्तुत किया, इस रणनीति को गीतों और पोस्टरों से मजबूत किया गया। वहीं, महिलाओं से व्यक्तिगत स्तर पर जुड़ने की प्रियंका की क्षमता उनके अभियान का मुख्य आकर्षण बन गई। पार्टी के गठबंधन सहयोगी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) से भी अल्पसंख्यकों का महत्वपूर्ण समर्थन मिला। भाई ने बहन के लिए छोड़ी थी यह सीट
प्रियंका को पहले वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संभावित चुनौती के रूप में और परिवार के गढ़ रायबरेली में कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया गया था। हालांकि, कांग्रेस ने उन्हें वायनाड से मैदान में उतारने का फैसला किया। लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद, जून में कांग्रेस ने घोषणा की थी कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में रायबरेली संसदीय क्षेत्र रखेंगे और केरल की वायनाड सीट खाली कर देंगे, जहां से प्रियंका लड़ेंगी। इस सीट से राहुल लगातार दो चुनावों में जीते थे। लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस की जीत में बड़ी भूमिका निभाई।