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Ladwa Assembly Seat: त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी मुख्यमंत्री की सीट, जाट चेहरे मेवा सिंह बने बड़ी चुनौती

Ladwa Seat Nayab Singh Saini Ladwa vs Mewa Singh: 10 साल की भाजपा सरकार के प्रति एंटी इंकमबैंसी के चलते मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की राह आसान नहीं है। पढ़ें नवनीत मिश्र की स्पेशल रिपोर्ट..

नई दिल्लीSep 23, 2024 / 09:39 pm

Anish Shekhar

Ladwa Assembly Seat Haryana: सीट बदलकर अपने गृह क्षेत्र लाडवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं वहीं अपने पक्ष के वोटों का विभाजन रोकना भी उनके लिए चुनौती है। क्षेत्र में घूमने पर पता चलता है कि मुख्यमंत्री होने से सैनी को बढ़त जरूर है, लेकिन 10 साल की भाजपा सरकार के प्रति एंटी इंकमबैंसी से उनकी राह आसान भी नहीं है। 40 प्रतिशत ओबीसी और सैनी बहुल इस सीट पर या तो सैनी का मुख्य मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक और जाट चेहरे मेवा सिंह से है, लेकिन इनेलो-बसपा गठबंधन ने सपना बड़शामी को उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। सपना के ससुर शेर सिंह बड़शामी 2009 में इनेलो के टिकट पर यह सीट जीत चुके हैं और उनकी जाटों में अच्छी पैठ मानी जाती है। पूर्व में थानेसर सीट से अलग होकर बनी लाडवा विधानसभा सीट से हर चुनाव में अलग-अलग दल को जीत मिली है। इस सीट पर 2009 में इनेलो, 2014 में भाजपा और 2019 में कांग्रेस ने चुनाव जीता।
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वोटों के बिखराव को रोकना बड़ी चुनौती

लाडवा में कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के लिए अपने वोटबैंक को बिखरने से रोकना बड़ी चुनौती है। कांग्रेस के बाद इनेलो का जाट प्रत्याशी होने से जाट वोट यहां बंटता दिख रहा है। दूसरी तरफ जेजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी एडवोकेट विनोद शर्मा को उतारकर यहां भाजपा के कोर वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश की। भाजपा टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर निर्दलीय मैदान में कूदे संदीप गर्ग भाजपा के वैश्य मतदाताओं में सेंधमारी के प्रयास में जुटे हैं। संदीप अन्नपूर्णा रसोई के जरिये गरीबों को भोजन कराकर सुर्खियों में रहते हैं। नायब ङ्क्षसह का पैतृक गांव सैनी माजरा इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है और 40 प्रतिशत गैर-जाट ओबीसी, भाजपा के कोर वोटर और जाट मतों के विभाजन के सहारे सैनी अपनी चुनावी नैया पार लगाने की तैयारी में हैं।

प्रत्याशियों को झेलने पड़ रहे सख्त सवाल

लाडवा में प्रत्याशियों को मतदाताओं के सख्त सवालों से जूझना पड़ रहा है। पिपली में मिले शिवदयाल सीएम सैनी के सीट बदलने पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि कभी नारायणगढ़ तो कभी करनाल से लड़ते हैं और अब लाडवा चले आए। इसका मतलब है कि उन्हें अपनी पहचान और काम पर भरोसा नहीं है। क्या इनेलो जाटों का वोट बांटेगी? यह पूछने पर इनेलो कार्यकर्ता दीपक शर्मा कहते हैं कि जाटों का ठेका भूपेंद्र हुड्डा ने नहीं ले रखा है। रोहतक को छोड़ उन्होंने कहीं विकास नहीं किया।

क्या कहते हैं आम मतदाता

सोंटी गांव के ज्वाला सिंह सैनी कहते हैं कि वे भाजपा को वोट करेंगे, क्योंकि पहली बार उत्तर हरियाणा का और सैनी मुख्यमंत्री मिला हैं। गांव के हरजिंदर सिंह मानते हैं कि यहां सीएम के पक्ष में माहौल है। इसी गांव के जर्नल सिंह कहते हैं कि किसान आंदोलन के कारण नाराजी के चलते किसानों का बड़ा वर्ग भाजपा को सबक सिखाने के लिए वोट करेगा। लाडवा अनाज मंडी में मिले केशवराम यादव कहते हैं कि पहले वे कांग्रेस को वोट करते थे, लेकिन सब्सिडी आदि योजनाओं के लाभ और गांव की नई सडक़ बनने से अब भाजपा का वोट डालेंगे। जितेंद्र कुमार कहते हैं कि भाजपा सरकार ने यमुनानगर-पिपली हाईवे पर बाईपास और और बाबैन में महिला कॉलेज बनाने की घोषणा की थी। लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ। जब सीएम होने पर भी सैनी कुछ नहीं कर पाए तो उन्हें क्यों वोट करें।

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