ऐसे में चीन की सेना के पीछे हटने को सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल दोनों पक्ष योजना के अनुसार पीछे हट गए हैं, जिसमें पूरी प्रक्रिया का संयुक्त रूप से सत्यापन करना भी शामिल है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘पीछे हटने और सत्यापन प्रक्रिया के बारे में स्थानीय कमांडर से पूरी जानकारी का इंतजार किया जा रहा है।’
इन इलाकों में अब भी तैनात हैं चीनी सैनिक
दोनों पक्ष गश्त चौकी-15 (पीपी-15) से पीछे हट गए हैं। हालांकि अब भी कुछ क्षेत्रों में चीनी सैनिक तैनात है। डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गतिरोध को हल करने में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के मुताबिक, अभी वहां जाकर जायजा लेना होगा। लेकिन सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया निर्धारित कार्यक्रम और निर्णय के मुताबिक ही हो रही है।
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