सवाल: आप लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक यहां चुनाव में जुटे हुए हैं, कैसा माहौल दिख रहा है? जवाब: मैं लोकसभा चुनाव से लेकर आज तक यहा हूं। इस दौरान मैंने महसूस किया है कि हरियाणा का आदमी राष्ट्रीय एजेंडे और सरकारों की परफॉर्मेंस के हिसाब से अपना निर्णय लेता है। इससे मुझे लगता है कि भाजपा को एक बार फिर लोग मौका देंगे।
सवाल: लोकसभा चुनाव में किसान आंदोलन और अग्निवीर का मुद्दा सबसे बड़ा रहा। एक बार फिर ऐसा ही हो रहा है, कैसे मैनेज कर रहे हैं? जवाब: देखिए, कुछ मुद्दे तात्कालिक होते हैं, फिर उनका समाधान भी होता है। साथ ही मुद्दों की मियाद भी होती है। कांग्रेस ने कुछ मुद्दों को लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश की थी। संविधान और आरक्षण का मुद्दा ज्यादा प्रभावी तरीके से सामने आया। लोकसभा से विधानसभा चुनाव तक इन मुद्दों की ग्रेविटी में कमी आई है और उनका समाधान भी हुआ है। 24 फसलों पर एमएसपी देना, बिना खर्ची, बिना पर्ची की सरकार का असर युवाओं में दिखा है। हरियाणा की जनता को केन्द्र की योजनाओं का फायदा मिला है।
सवाल: सीएम पद को लेकर भाजपा में भी घमासान है। कई नेता अपनी महत्वकांक्षा जाहिर कर रहे हैं, क्या कहेंगे? जवाब: दिक्कत कांग्रेस में है, भाजपा में नहीं। हमने नायब सैनी को तय कर दिया है, लेकिन कांग्रेस में भूपेन्द्र हुड्डा, शैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला को लेकर अंतर्कलह है। हमारे लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर जो बयान दिए, उसमें अच्छाई दिखती है। बयान देने वाले अनुभव और परिपक्व लोग हैं। उनके बयानों से सकारात्मकता है और पता चलता है कि बीजेपी की सरकार आ रही है।
सवाल: क्या इसी कारण कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा को मुद्दा बनाना पड़ा? जवाब: शैलजा जी का लोगों से भावनात्मक जुड़ाव है। उनका एक समर्थक वर्ग है और कांग्रेस के लिए लंबे समय से काम करती रही हैं। उनके समर्थकों में उत्कंठा है कि शैलजा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। कांग्रेस में सीएम चेहरे की दुविधा है और यही उनके लिए संकट का कारण बन सकता है। हमने अपना मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी क्या अपना सीएम चेहरा घोषित करने की हिम्मत कर सकती है? इसलिए शैलजा भी चुनाव में एक फेक्टर हैं।
सवाल: शैलजा को भाजपा में आने की चर्चा की सच्चाई क्या है? क्या उनसे संपर्क हुआ था? जवाब: एक समय भूपेन्द्र हुड्डा के भाजपा में आने की अफवाह उड़ी थी। अब शैलजा के बारे में ऐसा ही कुछ हुआ। हालांकि हमने उनसे इसको लेकर भाजपा ने संपंर्क नहीं किया।
सवाल: चुनाव से कुछ महीने पहले सीएम क्यों बदलना पड़ा, एंटी इंकंबेंसी का डर था? जवाब: यह एक सामान्य सी प्रक्रिया है। हां, यह जरूर है कि चुनाव से थोड़ा पहले किया तो इसलिए लगता है कि वह जस्टिफाई है या नहीं। लेकिन, बदलाव के कुछ मायने भी होते हैं और कुछ सार्थकता भी होती है। हमने संतुलित तरीके से फैसला किया मनोहर लाल जी को लोकसभा के जरिए संसद भेजा और फिर केन्द्र में मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। नायब सैनी को सीएम बनाकर एक समुदाय को प्रतिनिधित्व देना है। ओबीसी बिरादरी में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है कि उनके बीच का व्यक्ति सीएम बना है। सैनी की ऊर्जा और मनोहर लाल जी का अनुभव भाजपा के लिए अच्छा कंबीनेशन है।
सवाल: जब इतना कुछ किया तो फिर भाजपा पर गैर जाटवाद की सियासत का माहौल क्यों बनाया? जवाब: यह कांग्रेस का फैलाया हुआ भ्रम है। इससे उसे ज्यादा फायदा नहीं होता है। हमारी पोलिंग की स्थिति देखेंगे तो पता चलेगा कि कांग्रेस का वोट बैंक सीमित है। जबकि भाजपा को सभी वर्गों का वोट मिलता है। भले ही कम वोट मिले, लेकिन सभी का वोट मिलता है। हम जब कहते हैं कि सर्व स्पर्शी, सर्वव्यापी तो उसका लाभ जरूर मिलता है।