scriptHaryana Elections: 65 से ज्यादा सीट पर कांग्रेस-भाजपा का सीधा मुकाबला, सात समीकरण तय करेंगे ‘सरताज’ | Haryana Elections: Direct fight between Congress and BJP on more than 65 seats, seven equations will decide master | Patrika News
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Haryana Elections: 65 से ज्यादा सीट पर कांग्रेस-भाजपा का सीधा मुकाबला, सात समीकरण तय करेंगे ‘सरताज’

Haryana Elections: हरियाणा में 90 सीट वाली विधानसभा के ‘हेवीवेट’ चुनावी मुकाबले में जीत की हैट्रिक के लिए भाजपा और दस साल बाद सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हर पैंतरे अपना रही है। पढ़िए सचिन माथुर की खास रिपोर्ट…

चण्डीगढ़ हरियाणाOct 04, 2024 / 09:49 am

Shaitan Prajapat

Haryana Elections: पहलवानों की धरा हरियाणा में 90 सीट वाली विधानसभा के ‘हेवीवेट’ चुनावी मुकाबले में जीत की हैट्रिक के लिए भाजपा और दस साल बाद सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हर पैंतरे अपना रही है। जजपा-आसपा, इनेलो-बसपा के गठबंधन सहित आप व निर्दलीय उम्मीदवार भी ताल ठोककर दोनों बड़े दल को चुनौती दे रहे हैं।
इस चुनाव में 65 से ज्यादा सीट पर अब भी सीधा मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच ही माना जा रहा है। इनमें नौ घरोंदा, टोहना, जिंद, भादरा, तोशाम, पेहोवा, फरीदाबाद, कोसली व सोनीपत में चुनावी जंग ज्यादा करीबी है। 21 सीटों पर कांग्रेस व भाजपा को अन्य दलों से चुनौती मिल रही है। सबकी निगाहें अब शनिवार को होने वाले मतदान व आठ अक्टूबर को आने वाले चुनाव परिणाम पर टिक गई है।
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तंवर ने दो घंटे में बदला पाला

सियासी घमासान में गुरुवार को दल- बदल की बेहद रोचक तस्वीर भी दिखी। सिरसा सीट से भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रत्याशी रहे अशोक तंवर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की महेंद्रगढ़ सभा में फिर कांग्रेसी हो गए। दो घंटे पहले ही वह भाजपा का प्रचार कर रहे थे। सासंद कुमारी शैलजा के विरोधी रहे तंवर की वापसी से कांग्रेस में गुटबाजी को नई हवा मिल गई है।

सात समीकरण तय करेंगे ‘सरताज’

1- जाति: कांग्रेस, जजपा व इनेलो गठबंधन को 25 फीसदी जाट, 21 फीसदी एससी से उम्मीद है। भाजपा की आस सीएम चेहरा नायब सिंह सैनी के कारण 30 फीसदी ओबीसी और कांग्रेस की दलित नेता कुमारी शैलजा की नाराजगी व वर्गीकरण के मुद्दे पर टिकी है।
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2- मुद्दे: एंटी इन्कम्बेंसी के अलावा किसान, जवान, पहलवान, बेरोजगारी व सरकारी पोर्टल सरीखे मुद्दे भाजपा के लिए तो दलाल, दामाद व पर्ची-खर्ची जैसे भ्रष्टाचार, आरक्षण पर राहुल गांधी के बयान व आपसी कलह के मुद्दे कांग्रेस की परेशानी का सबब बने हुए हैं।
3- गठबंधन: इनेलो, बसपा, जजपा व चंद्र शेखर आजाद की आसपा के गठबंधन की भूमिका कांग्रेस का खेल बिगाड़ने सहित सरकार बनाने खेल में भी अहम हो सकती है। सभी सीटों पर अकेले लड़ रही आप शहरी इलाकों में कांग्रेस-भाजपा दोनों की मंशा पर पानी फेर सकती है।
4- बगावत व गुटबाजी: कांग्रेस व भाजपा दोनों बगावत व गुटबाजी झेल रही है। करीब 15 सीट पर भाजपा को 19 और 20 सीट पर कांग्रेस को 29 बागी चुनौती दे रहे हैं। शैलजा व रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस की तो राव इंद्रजीत सिंह व अनिल विज भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
5- खाप व डेरा: हरियाणा में करीब 150 खाप पंचायतें बेरी, गन्नोर, गोहाना, बरौदा, बहादुरगढ़ व उचाना सहित करीब 10 से ज्यादा सीट पर असर डाल सकती हैं। हालांकि, कांग्रेस उनका असर अपने पक्ष में मान रही है। पैरोल पर छूटा गुरमीत भी समीकरण प्रभावित कर सकता है।
6- क्षेत्रीय गणितः चुनाव 23 सीटों वाले जीटी रोड, 11 सीटों वाले अहीरवाल व जाट लैंड के रूप में पहचान रखने वाले 42 सीटों वाले देशवाल, बांगर व बागड़ और मेवात क्षेत्र में बंटा है। जाट लैंड में कांग्रेस, इनेलो व जजपा तो अहीरवाल व जीटी रोड में भाजपा मजबूत रही है।
7- फ्लोटिंग व साइलेंट मतदाता: चुनावी हो-हल्ले के बीच हरियाणा में करीब 20 फीसदी वर्ग खामोश मतदाताओं का है। वहीं, 10 फीसदी मतदाता हवा के रुख के हिसाब से मतदान करेंगे। ऐसे में इनका मतदान भी चुनावी हार-जीत में निर्णायक होगा।

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