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J&K: आतंकियों से ‘हमदर्दी’ रखने वालों को किया जा रहा है चिन्हित, चुन-चुनकर निकाले जा रहे सरकारी कर्मचारी

J&K: राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। एजेंसियां उन सरकारी कर्मिचारियों को चिन्हित कर एक्शन ले रही रही है जो आतंकवादियों के हमदर्द हैं।

नई दिल्लीJul 25, 2024 / 01:40 pm

Paritosh Shahi

J&K: जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाल ही में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और नार्को-आतंकवाद में कथित संलिप्तता के आरोप में चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, जिनमें दो पुलिस कांस्टेबल भी शामिल हैं। यह पहली बार नहीं है जब आतंकियों के हमदर्द माने जाने वाले सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया हो। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से अब तक 64 सरकारी कर्मचारियों को इसी प्रकार के आरोपों के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया जा चुका है।
इस साल अब तक नौ कर्मचारियों को निकाला

संविधान का अनुच्छेद 311 सरकार को बिना किसी जांच के कर्मचारियों को बर्खास्त करने की शक्ति प्रदान करता है। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने इस तरह की बर्खास्तगी का विरोध किया है और इसे “मनमाना” कहा है। इस साल अब तक नौ कर्मचारियों को “राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों” में शामिल होने के आरोप में नौकरी से निकाला जा चुका है। चार नए कर्मचारियों की बर्खास्तगी के बाद, अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि सरकार नार्को-आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस की नीति’ अपना रही है।
चारों बर्खास्त कर्मचारियों में पुलिस कांस्टेबल मुश्ताक अहमद पीर और इम्तियाज अहमद लोन, स्कूल शिक्षा विभाग के जूनियर असिस्टेंट बाजिल अहमद मीर, और ग्रामीण विकास विभाग के ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता मोहम्मद जैद शाह शामिल हैं। सरकारी जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, ये चारों कर्मचारी “आतंकवादी संगठनों के लिए काम कर रहे थे।” कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों ने उनके खिलाफ “अपराधी सामग्री साक्ष्य” एकत्र किए हैं।

क्या-क्या गुनाह किया

  1. 1995 में सशस्त्र पुलिस विंग में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुए मुश्ताक अहमद पीर ने कथित तौर पर अपने पुलिस पद का अनुचित लाभ उठाया। मुश्ताक अहमद पीर ने अपने पद का इस्तेमाल करते हुए बिना किसी परेशानी के ड्रग्स की आवाजाही में मदद की।
  2. 2002 में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया इम्तियाज अहमद लोन दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अवैध गतिविधियों में शामिल हो गया। इम्तियाज ने अलगाववाद का रास्ता चुना और प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का एक महत्वपूर्ण और भरोसेमंद आतंकी सहयोगी (ओजीडब्ल्यू-ओवर ग्राउंड वर्कर) बन गया।
  3. बाजिल अहमद मीर 2018 में जूनियर असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया था और माछिल, कुपवाड़ा में तैनात किया गया था। मीर कुख्यात ड्रग तस्कर बन गया। मीर पाकिस्तानी आतंकवादी संचालकों के साथ संपर्क में रहा है और हथियारों और विस्फोटकों सहित मादक दवाओं की डिलीवरी, आपूर्ति और बिक्री में एक मध्यस्थ की भूमिका निभाकर उनकी पकड़ मजबूत की है।
  4. मोहम्मद जैद शाह जो 1998 में वीएलडब्ल्यू नियुक्त हुआ था उसने उत्तरी कश्मीर के उरी में एक कट्टर ड्रग तस्करी का काम बड़े स्तर पर फैलाया। शाह बहुत शातिर था, उसने आम जनता के बीच एक ऐसी छवि बना ली थी, जिससे पुलिस या सुरक्षा बलों को उस पर जम्मू-कश्मीर में सक्रिय नार्को-टेरर सिंडिकेट का एक प्रमुख तत्व होने का शक नहीं होता।

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