जिनेवा. भारत के शहरों में डेंगू के मामलों में भारी उछाल के बीच डब्ल्यूएचओ की ओर से दावा किया गया है कि इस साल दुनिया भर में डेंगू के रेकॉर्ड 1 करोड़ 30 लाख मामले सामने आए हैं, जिसमें ब्राजील और अन्य दक्षिण अमरीकी देश सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से आगाह किया गया है कि डेंगू के मामलों की संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है और इसका सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग के चलते धरती का बढ़ता तापमान है। संगठन की ओर से आगाह किया गया है कि यही हालात रहे तो 2050 तक डेंगू के सालाना मामलों की संख्या 5 अरब तक पहुंच सकती है। हैरानी नहीं कि, अमरीका, इटली और फ्रांस जैसे वो देश जहां डेंगू के मामले यदा-कदा सामने आते थे, वहां भी डेंगू ने दस्तक दे दी है। दूसरी ओर, भारत के ठंडे प्रदेश जैसे लद्दाख में भी अब डेंगू दस्तक दे रहा है, जबकि 2001 तक भारत के सिर्फ 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ही डेंगू के मामले दर्ज किए जा रहे थे। 2022 तक भारत के हर राज्य में डेंगू दस्तक दे चुका था। 2024 में तो भारत के अधिकांश राज्य डेंगू की मार से पस्त दिखे हैं। कर्नाटक में तो सितंबर के पहले सप्ताह में ही आधिकारिक रूप से डेंगू के मामले रेकॉर्ड 25 हजार के पार जा चुके थे। हकीकत में कर्नाटक सहित भारत के कई राज्यों में डेंगू के मामलों की संख्या इससे अधिक रही है, लेकिन इनको दर्ज नहीं किया जा रहा है।
हाल में जारी लैंसेट के डेंगू के ताजा अध्ययन के अनुसार पिछले 10 सालों में वैश्विक स्तर पर डेंगू के मामले कम के कम 10 गुना बढ़े हैं। दुनिया भर में डेंगू बढ़ने के तीन मुख्य कारण इस अध्ययन में बताए गए हैं। ये कारण हैं जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और लोगों की बढ़ती गतिशीलता। जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और ठंडे दिनों की संख्या कम हो रही है। इसके चलते डेंगू के मच्छरों एडीज एजिप्टी को पनपने के लिए अनुकूल तापमान अधिक दिनों तक रहता है। शहरीकरण के चलते मानसून बाद पानी के जमाव के ज्यादा हालात बनते हैं, जो कि शहरों की घनी आबादी में तेजी से फैलते हैं। साथ ही, लोगों की गतिशीलता बढ़ने से इनका तेजी से प्रसार हो रहा है।
डेंगू वायरस के हैं चार वैरियंट
डेंगू का मच्छर दिन के समय, खासकर सूर्योदय के करीब दो घंटे बाद और सूर्यास्त से पहले काटता है। जबकि मलेरिया का मच्छर रात में काटता है। अगर रात में घरों में अच्छी रोशनी है, तो भी यह मच्छर काट सकते हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गिरीश शर्मा के अनुसार, डेंगू वायरस के चार वैरियंट हैं। इसलिए एक बार डेंगू होने के बाद भी किसी अन्य वैरियंट से डेंगू होने की आशंका बनी रहती है। चिंता की बात यह है कि दूसरी बार डेंगू होना अधिक घातक होता है।
एक्सपर्ट की राय
बढ़ते तापमान और लंबित मानसून से हालात बेकाबू इस वर्ष जयपुर में जो डेंगू के केस मैंने देखे हैं, वैसे पहले कभी देखने में नहीं आए। अक्टूबर में भारत में दर्ज किया गया रेकॉर्ड तापमान, लंबित मानसून अवधि और जयपुर की गंदगी से हालात बेकाबू हुए हैं। हर दूसरे घर में डेंगू के केस नजर आए।