‘हिंदू खून फैल रहा है…’ शब्दों का किया गया इस्तेमाल
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ से साथ साझा किए गए एको के अध्ययन में बताया गया कि फेसबुक ने भारत में मुसलमानों के प्रति अपशब्दों वाले विज्ञापनों को मंजूरी दी। ऐसे विज्ञापनों में ‘आओ इस कीड़े को जला दें’ और ‘हिंदू खून फैल रहा है, इन आक्रमणकारियों को जला दिया जाना चाहिए’, जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। कुछ नेताओं ने दुष्प्रचार के लिए हिंदू वर्चस्ववादी भाषा का इस्तेमाल किया। एको ने पहले भी आगाह किया था कि कई राजनीतिक दल भ्रामक विज्ञापनों के लिए बड़ी रकम खर्च करने के लिए तैयार हैं। मेटा ने इस बात से इनकार किया कि इनमें से अधिकांश विज्ञापनों ने उनकी नीतियों का उल्लंघन किया है।
पोस्ट किए बेहद भड़काऊ विज्ञापन (extremely inflammatory advertisement on Social Media)
- ऐसे अभिनेताओं के नेटवर्क का भी खुलासा किया गया जिन्होंने उन्होंने नफरत फैलाने वाले विज्ञापनों का चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया। इससे मेटा को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ मिला।
- 8 मई से 13 मई के बीच मेटा ने 14 बेहद भड़काऊ विज्ञापनों को मंजूरी दी। इन विज्ञापनों में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर हिंसा के लिए उकसाने का प्रयास किया गया।
- भारत के राजनीतिक परिदृश्य में पहले से प्रचलित कंसिपिरेसी थ्यूरी का फायदा उठाते हुए भ्रामक सूचनाएं प्रसारित की गईं और हिंदू वर्चस्ववादी कहानियां सुनाकर हिंसा भड़काने का प्रयास किया गया।
- एक विज्ञापन गृह मंत्री के वीडियो से छेड़छाड़ कर बनाया गया, जिसमें दलितों के लिए बनाई गई नीतियों को हटाने की धमकी दी गई थी। इसके कारण विपक्षी नेताओं को नोटिस दिया गया और गिरफ्तारियां हुईं।
- ऐसे हर विज्ञापन में एआइ टूल का इस्तेमाल कर फोटो गढ़े गए। इससे यह पता चलता है कि हानिकारक कंटेंट को बढ़ाने में इस नई तकनीक का कैसे जल्द और आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
Meta ने नहीं किए पर्याप्त सुधार
चुनाव से पहले मेटा ने वादा किया था कि वह ‘गलत सूचना फैलाने के लिए एआइ-जनित सामग्री के दुरुपयोग को रोकेगी और ऐसे कंटेंट का पता लगाने और हटाने को प्राथमिकता देगी। हालांकि, प्रणालीगत विफलताओं के पर्याप्त सबूतों के बावजूद मेटा पर्याप्त सुधारात्मक उपायों को लागू करने में विफल रहा है।मॉडरेशन प्रणाली की खामियां दुष्प्रचार और एआइ-जनित सामग्री से प्रभावी ढंग से निपटने और उन्हें लेबल करने में असमर्थता कंटेंट मॉडरेशन में प्रणालीगत कमियों को उजागर करती है। हालांकि, मेटा ने सार्वजनिक रूप से कंटेंट रिव्यू की बड़ी टीम होने के साथ-साथ सुरक्षा के लिए जरूरी निवेश का दावा किया है।
पहले भी भड़का चुकी है हिंसा
चुनावी दुष्प्रचार और कंसिपेरेसी थ्यूरी के प्रसार को सुविधाजनक बनाकर मेटा ने अमरीका और ब्राजील की तरह भारत में भी सामुदायिक झगड़े पैदा करने और कभी-कभी हिंसा भड़काने में योगदान दिया है। 2020 में जब दिल्ली दंगों में 50 से अधिक लोग मारे गए, तब फेसबुक ने नफरत सामग्री और हिंसा को बढ़ावा दिया।
गंगोपाध्याय को 24 घंटे के लिए प्रचार से रोका
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में चुनाव आयोग ने भाजपा उम्मीदवार रिटायर जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की कड़ी निंदा की है। आयोग ने भाजपा उम्मीदवार पर 21 मई को शाम के पांच बजे से लेकर अगले 24 घंटे तक चुनाव प्रचार पर रोक लगाई है। आयोग ने भाजपा नेता को आदर्श आचार संहिता के तहत अपने सार्वजनिक बयानों में सावधानी बरतने की भी चेतावनी दी है।
दरअसल, हल्दिया में 15 मई को एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते समय गंगोपाध्याय ने ममता बनर्जी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी। मौजूदा लोकसभा चुनाव में अभिजीत गंगोपाध्याय चौथे राजनेता हैं जिन पर महिलाओं के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी के लिए कार्रवाई की गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष और कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी ममता बनर्जी और कंगना रणौत के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की थी।