साकेत कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 13 दिसंबर, 2019 के भाषण को सरसरी तौर पर पढ़ने से पता चलता है कि यह स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक/विभाजनकारी तर्ज पर है। मेरे विचार में, भड़काऊ भाषणों का समाज की शांति और सद्भाव पर एक दुर्बल प्रभाव पड़ता है।
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Mumbai Cruise Ship Drug Case: अभी जेल में ही रहेगा शाहरुख खान का बेटा आर्यन, जानिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आर्यन के वकील को क्या कहा दरअसल इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि यूएपीए के तहत राजद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने अपने कथित भड़काऊ भाषणों के जरिए मुसलमानों में निराशा की भावना पैदा करने की कोशिश की थी।
कोर्ट ने आदेश विवेकानंद की पंक्तियों का किया जिक्र
कोर्ट ने अपने आदेश में स्वामी विवेकानंद को भी उद्धृत किया, ‘हम वही हैं जो हमें हमारे विचारों ने बनाया है, इसलिए आप जो सोचते हैं, उस पर ध्यान दें, शब्द गौण हैं, विचार जीवित हैं, जो दूर तक जाते हैं।’
शरजील ने कहा वो शांतिप्रिय नागरिक
जमानत याचिका में शरजील इमाम ने दावा किया था कि उन्होंने किसी भी विरोध या प्रदर्शन के दौरान कभी भी किसी हिंसा में हिस्सा नहीं लिया। वह एक शांतिप्रिय नागरिक है। यही नहीं सुनवाई के दौरान इमाम के अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर ने अदालत में उनके भाषणों के कुछ अंश पढ़े और कहा कि वे राजद्रोह कानून के तहत नहीं आते हैं।
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Karnataka High Court ने कहा- मुस्लिम में निकाह एक समझौता है, हिंदू विवाह की तरह संस्कार नहीं बता दें कि गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम ( UAPA ) के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम ने उत्तर-पूर्वी हुई दिल्ली हिंसा से संबंधित एक मामले में एक स्थानीय अदालत से जुलाई महीने में जमानत मांगी थी।
नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसा के बीते वर्ष 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 700 अन्य घायल हुए थे।