परिवार को सौंपने को कहा स्पर्म
दरअसल, मृतक के पिता उनेक बेटे के शुक्राणु को लेना चाहते थे जिससे वह अपने वंश को आगे बढ़ात हुआ देख सकें। न्यायाधीश ने कहा कि माता-पिता के मरने के बाद कई सारे दादा-दादी अपने पोते-पोतियों का पालन करते हैं और यह एक आम बात है। हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में मृत व्यक्ति के स्पर्म को अस्पताल से रिलीज करने वाली याचिका पर जवाब मांगा था। यह याचिका मृत व्यक्ति के पैरेंट्स ने दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि सर गंगाराम अस्पताल की लैब में उनके बेटे के जमे हुए स्पर्म को रिलीज किया जाए जिसकी कैंसर के दौरान मौत हो गई थी। मृत व्यक्ति के पैरेंट्स ने अस्पताल से कांटेक्ट किया लेकिन अस्पताल ने ये कहते हुए मना कर दिया कि उनसे पास इसे रिलीज करने के कोई सरकारी आदेश नहीं है और वह इसे कोर्ट के ऑर्डर पर ही रिलीज कर सकते हैं।
सरकार को मामले में दखल देने के लिए कहा
वहीं इससे पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार और सर गंगाराम हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह सरोगेसी के लिए मृत व्यक्ति के जमे हुए स्पर्म उसके पैरेंट्स को दें। कोर्ट ने कहा कि जमे हुए स्पर्म को रिलीज न करने को लेकर कोई कानून नहीं है और आईसीएमआर गाइडलाइन और सेरोगेसी अधिनियम भी इस मुद्दे पर चुप हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार का इस फैसले के प्रति नजरिया बेहद जरूरी है।