मुद्दों का बातचीत और कूटनीति के माध्यम से समाधान हो
भारत के विदेश मंत्रालय ने देश के नागरिकों को ईरान की सभी गैर-जरूरी यात्राओं से बचने की सलाह दी है और विदेश मंत्रालय ने
ईरान में रहने वाले भारतीयों से सतर्क रहने और तेहरान में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने के लिए कहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम पश्चिम एशिया में सुरक्षा के हालात बिगड़ने से बहुत चिंतित हैं और सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान दोहराते हैं। हम आग्रह करते हैं कि सभी मुद्दों का समाधान बातचीत और कूटनीति के माध्यम से करना चाहिए।
भारत के इज़राइल और ईरान से अच्छे संबंध
भारत और
इज़राइल के बीच द्विपक्षीय व्यापार होता है। भारत इज़राइल को हीरे, डीजल, विमानन टरबाइन ईंधन, रडार उपकरण, चावल और गेहूं का निर्यात करता है और भारत इज़राइल से अंतरिक्ष उपकरण, पोटेशियम क्लोराइड, मेकैनिकल एप्लायंस व प्रिंटेड सर्किट आदि आयात करता है। इधर ईरान और भारत के रिश्ते भी पुराने हैं। भारत के 1958 से ईरान के साथ राजनयिक संबंध हैं। ईरान में करीब चार हजार भारतीय रहते हैं। इनमें ज्यादातर छात्र या कारोबारी हैं। वहां तकरीबन 1700 भारतीय छात्र हैं और ज्यादातर भारतीय तेहरान में हैं। इसके अलावा बिरिजंद, जबोल और मशहद में भी कुछ भारतीय रहते हैं। इज़राइल में भी भारत के लोग रह रहे हैं। वहां करीब 85 हजार भारतीय मूल के यहूदी रहते हैं। करीब 18 से 20 हजार भारतीय नौकरी करते हैं और वे कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में काम करते हैं। अलग-अलग जगहों पर करीब 1000 छात्र रहते हैं।
पश्चिम एशिया में कोई हारता नहीं, कोई जीतता भी नहीं
इज़राइल-ईरान संघर्ष को लेकर पूर्व विदेश सचिव शशांक ने कहा कि, ”पश्चिम एशिया ऐसा क्षेत्र है जहां कई दशकों से यह तो पता है कि कोई भी पक्ष हारने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन जीत भी नहीं होती है। इससे हर बार जान माल की हानि होती है। नागरिकों को तकलीफ होती है। इस क्षेत्र में तेल का बड़ा भंडार है, वह असुरक्षित हो जाता है। हालांकि तेजी से किए गए हमले के बाद ईरान को यह मालूम नहीं है कि उस पर क्या हो सकता है। कूटनीतिक स्तर पर ईरान ने थोड़ी ज्यादती दिखा दी है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ सकता
रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी के अनुसार इज़राइल और ईरान आपस में भिड़ेंगे तो इसका सीधे तौर पर भारत और यहां की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है। ईरान-इज़राइल जंग से समुद्री मार्ग से व्यापार पर असर पड़ सकता है। भारत और यूरोप के बीच बनने वाले इकानॉमिक कॉरिडोर (IMEC) का एजेंडा भी अटक सकता है। भारत की शिपिंग कॉस्ट बढ़ सकती है। भारत करीब 85% कच्चा तेल आयात करता है तो जंग से ईरान से तेल आयात पर असर पड़ सकता है । यदि लंबी जंग चलती है तो सोना-चांदी महंगा होगा और शेयर बाजार में भी गिरावट दिख सकती है।
ईरान और इज़राइल आपस में सीधे युद्ध नहीं चाहते
यह ईरान का दूसरा हमला है। ईरान ने अप्रेल में भी हमले किए थे। इस बार ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों से हमले किए हैं, जिससे इज़राइल को कुछ नुकसान हुआ है। हालांकि न तो ईरान और न ही इज़राइल चाहता है कि उनके बीच सीधा युद्ध हो। ईरान ने अप्रेल में जब हमला किया था तो उसने अमेरिका को तीन-चार दिन पहले बता दिया था और इस पर अमेरिका ने इज़राइल की हवाई सुरक्षा मजबूत कर दी थी, लेकिन इस बार ईरान ने अमेरिका को सिर्फ दो-तीन घंटे का नोटिस दिया। इससे इज़राइल और अमेरिका को बचाव के लिए कम समय मिला। दोनों देश आपस में युद्ध नहीं चाहते। इज़राइल का पहले से ही हमास, हिजबुल्लाह, हूती और फिलिस्तीन के साथ संघर्ष चल रहा है। ईरान अपेक्षाकृत कमजोर देश है। यही कारण है कि वे दोनों नहीं चाहते कि एक सीधा युद्ध हो। बहरहाल ईरान-इज़राइल युद्ध से भारत, चाबहार पोर्ट व ट्रेड कॉरिडोर असर पड़ेगा।