कैबिनेट की मीटिंग के बाद इस फैसले को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहले दिल्ली में सबसे बड़ी दिक्कत बसों की होती थी। कई सालों तक बसों की खरीद नहीं की गई थी। लेकिन वर्तमान में दिल्ली के परिवहन बेड़े में 7200 से अधिक बसें हैं। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली के इतिहास में 7200 बसें भी आज तक कभी नहीं रही थीं। दिल्ली को करीब 11 से 12 हजार बसों की जरूरत है। हम दिसंबर 2024 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेंगे।
एक समाचार एजेंसी के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द ही 4880 बसें और खरीदने के लिए टेंडर जारी किया जाएगा। इसके अलावा, दिल्ली के ट्रांसपोर्ट सेक्टर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया जाएगा। इसके तहत सभी ट्रांसपोर्ट के साधनों को इंटीग्रेट किया जाएगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कैबिनेट में ट्रांसपोर्ट को लेकर लिए गए निर्णय के बारे जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और कई क्षेत्रों में जबरदस्त सुधार करने के बाद दिल्ली सरकार अब ट्रांसपोर्ट सेक्टर को लोगों के लिए आरामदेह और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने जा रही है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लगभग 4880 बसों के अलग से टेंडर दिए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ अगले दो-तीन साल के अंदर कई बसें पुरानी हो जाएंगी और उनकी लाइफ खत्म हो जाएगी। इसलिए उन बसों को हटाना पड़ेगा। इन सबको जोड़ घटाकर दिेसंबर 2024 तक हमारे पास दिल्ली की सड़कों पर 11,910 बसें होंगी। यह 11,910 बसों की संख्या दिल्ली की आवश्यकता के अनुरूप है। कैबिनेट मीटिंग में हुए फैसले के बाबत दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली का बस बेड़ा पहले से कहीं अधिक बढ़ रहा है और 2 साल से भी कम समय में हमारे पास अब तक का सबसे अधिक इलेक्ट्रिक बस बेड़ा होगा।
कैबिनेट मीटिंग में 1500 इलेक्ट्रिक बसों में से 100 बसों को रोहिणी डिपो-1 से, 100 बसों को रोहिणी डिपो-2 से, 100 बसें मायापुरी डिपो से, 160 बसें हसनपुर डिपो से, 175 बसें सुभाष प्लेस डिपो से, 125 बसें सुखदेव विहार डिपो से, 130 बसें वजीरपुर डिपो से, 70 बसें बंदा बहादुर मार्ग डिपो से, 70 बसें नेहरू प्लेस डिपो से, 150 बसें कालकाजी डिपो से, 120 बसें नरायणा डिपो से और 200 बसें सावड़ा घेवरा डिपो से संचालित होंगी।