आवास के लिए जिम्मेदारों का चक्कर काटता रहा सहदेव
सहदेव राम ने बताया कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उन्हें कोई आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है। “छह साल पहले मेरा घर गिरने के बाद, मैंने तत्कालीन मुखिया (ग्राम प्रधान) कामेश्वर मेहता को एक आवेदन सौंपा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। दलित सहदेव को उम्मीद है जब उसका घर बनेगा तो उसकी पत्नी, बच्चे आ जाएंगे और हंसी खुशी से रहेंगे। छह फीट के शौचालय में दरवाजा भी टूटा हुआ है, जिससे सर्द रातें ठिठुरते हुए गुजरती हैं, यहीं वह खाना बनाता है।
घर ढ़हने के बाद शौचालय में रहने को मजबूर
पेशे से राजमिस्त्री सहदेव राम ने बताया कि उनका एक हाथ एक दुर्घटना में घायल हो गया था, जिस कारण उन्हें नियमित काम नहीं मिल पाता है। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को अपने ससुराल भेज दिया था जो छह साल से वहीं रह रहे हैं। सहदेव बताते हैं कि उनके पास कच्चा घर था जो छह साल पहले ढह गया था। तब से, उनके पास टॉयलेट में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्तमान मुखिया भोला तुरी और प्रखंड विकास पदाधिकारी को आवेदन दिया है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला।
धन की कमी के कारण नहीं मिल रहा मकान
वहीं, इस मुद्दे को लेकर जब वर्तमान मुखिया भोला तुरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह राम की स्थिति से अवगत हैं। सरकारी आवास योजना के तहत आवास पाने के लिए उन्हें सभी कागजात भेज दिए गए हैं, लेकिन धन की कमी के कारण उन्हें कोई आवास उपलब्ध नहीं हो पाया है, जैसे ही फंड आएगा सहदेव राम को आवास मिल जाएगा। स्थानीय वार्ड सदस्य गोपाल कुमार दास ने भी कहा कि राम की परेशानियों के लिए धन की कमी जिम्मेदार है। शौचालय निर्माण के लिए धन का एक हिस्सा आया और हमने उसके लिए एक बड़े शौचालय की जगह की व्यवस्था की है तब से वह वहीं रह रहा है।
जल्द घर दिलाने के लिए प्रयासरत
खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) मनीष कुमार ने कहा कि उन्होंने मामले पर ध्यान दिया है और अबुआ आवास योजना के लिए राम का आवेदन विचारार्थ है। “मुझे इसके बारे में हाल ही में पता चला क्योंकि मैंने केवल डेढ़ महीने पहले ही दारू ब्लॉक के बीडीओ के रूप में कार्यभार संभाला है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि उन्हें अबुआ आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराया जाए।