सुप्रीम कोर्ट से फर्जी अरेस्ट वारंट दिखाकर डराया
पुलिस को दी गई शिकायत में ओसवाल ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके मोबाइल पर एक फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि उनके नाम सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी के वारंट निकले हैं। इसके साथ ही संपत्ति सील करने के भी आदेश दिए गए हैं। फोन करने वाले व्यक्ति ने ओसवाल को डराने के लिए CBI, ED और कस्टम विभाग का भी जिक्र किया। ओसवाल को इस पर भरोसा नहीं हुआ तो आरोपियों ने फोन पर सुप्रीम कोर्ट के फर्जी आदेश भेज दिए। इसके बाद ओसवाल ने साइबर ठगों पर विश्वास कर लिया। बताया जाता है कि फर्जी आदेशों को देखने के बाद ओसवाल ने उनसे बचाव की बात कही। इस पर आरोपियों ने ओसवाल से 7 करोड़ रुपए मांगे। ओसवाल ने आरोपियों को सात करोड़ रुपए दे दिए। ओसवाल ने बताया कि साइबर अपराधी बार-बार उन्हें गिरफ्तारी और बदनामी का डर दिखा रहे थे। वे कह रहे थे कि आपकी गिरफ्तारी से कंपनी की बदनामी होगी। कोर्ट की ओर से जो वारंट निकले हैं, हम उसी केस में जांच कर रहे हैं।
दो शातिरों की तलाश
ओसवाल ने बताया कि उन्होंने ठगी की जानकारी होने पर पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार कर 6 करोड़ रुपए बरामद कर लिए हैं। ठगी में दो अन्य शातिर बताए जाते हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। हालांकि पुलिस ने अभी मामले का खुलासा नहीं किया है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर से 3.5 करोड़ की ठगी
वहीं दूसरी ओर बेंगलूरु की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से साइबर ठगों ने 3.5 करोड़ रुपए ठग लिए। मगरपट्टा शहर की निवासी महिला ने पुलिस को बताया कि उसे एक फोन कॉल आया। उसने बताया कि पुलिस ने शंघाई जाने वाला उसका पार्सल को रोक लिया है। उसमें ड्रग्स, पासपोर्ट और अन्य आपत्तिजनक सामग्री है। इसके बाद उसका कॉल पूछताछ के लिए फर्जी मुंबई पुलिस और सीबीआइ अधिकारियों से कनेक्ट कर दिया। साइबर अपराधियों ने उसे बयान दर्ज करने के बहाने से वीडियो कॉल पर बुलाया और बैंक लेनदेन के सत्यापन के लिए पैसे ट्रांसफर करने को कहा। उन्होंने धमकी दी कि उसने जांच में सहयोग नहीं दिया तो उसे हिरासत में ले लेंगे। इसके बाद इंजीनियर महिला ने रकम ट्रांसफर कर दी। बाद में महिला को ठगी का एहसास हुआ तो उसने थाने में मामला दर्ज कराया।