नीतीश कुमार को क्या कहा?
ट्विट में उन्होंने लिखा, “बिहार के जातिय जनगणना के बाद ‘जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी’ के नारे और ‘परोपकार अपने घर से ही शुरू होता है’ की कहावत को चरितार्थ करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को अपने मंत्रिमंडल में कल ही एक-एक मुस्लिम,अतिपिछड़ा एवं अनुसूचित जाति को उपमुख्यमंत्री बनाना चाहिए।”
क स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उन्होंने कहा, “सरकार को डेटा जुटाने में दखल नहीं देना चाहिए। आखिर जो सवर्ण 2022 तक 22 फीसदी थे, वे अब 15 पर कैसे आ गए।” वहीं दूसरी ओर नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि सरकार को इसका आत्मावलोकन करना चाहिए कि बिहार में और जाति के मुकाबले सवर्ण जाति की जनसंख्या कम क्यों हो गई?
इसके बाद बिहार के मधुबनी से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के नेता किशोर कुमार झा ने बताया, ‘मंडल के दौर के बाद पिछड़ी जातियों की आक्रामकता और बुरे शासन के चलते फॉरवर्ड क्लास ने अपनी सुरक्षा, अच्छे जीवन और एजुकेशन के लिए दूसरी जगहों पर पलायन किया। हालांकि अब भी उनकी जड़ें गावों में हैं और वे मौके-मौके पर आते भी हैं। लेकिन ऐसे बहुत से लोगों की गिनती ही नहीं की गई।’
इन बयानों के बाद ऐसा लगने लगा है कि जातिगत सर्वे के रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार कांग्रेस दोफाड़ में बंट गयी है। अब इसका परिणाम आने वाले समय में क्या होता है इसपर सबकी नजर बनी रहेगी क्योंकि बिना नाम लिए जिस प्रकार कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं ने लालू यादव के राज पर सवाल उठायें है, ऐसे में उनके पार्टी के नेता इन बयानों पर चुप्पी साध लें इसकी उम्मीद बहुत कम है।