scriptसीमा पर तनाव का असर: 132 साल में पहली बार पौष मेले से बांग्लादेश के व्यापारी नदारद | Effect of border tension: For first time in 132 years, Bangladeshi traders are absent from Paush fair | Patrika News
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सीमा पर तनाव का असर: 132 साल में पहली बार पौष मेले से बांग्लादेश के व्यापारी नदारद

Paush Fair: भारत-बांग्लादेश सीमा पर मौजूदा तनाव का असर शांतिनिकेतन में हर साल लगने वाले पौष मेले पर पड़ा है। बीरभूम जिले के 132 वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक मेले में इस बार आगंतुक पर्यटकों को बांग्लादेश की अनुउपस्थिति खलेगी।

नई दिल्लीDec 22, 2024 / 08:37 am

Shaitan Prajapat

Paush Fair: भारत-बांग्लादेश सीमा पर मौजूदा तनाव का असर शांतिनिकेतन में हर साल लगने वाले पौष मेले पर पड़ा है। बीरभूम जिले के 132 वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक मेले में इस बार आगंतुक पर्यटकों को बांग्लादेश की अनुउपस्थिति खलेगी। ऑनलाइन बुकिंग विंडो बंद होने से पड़ोसी देश के व्यापारियों ने मेले में जगह के लिए आवेदन नहीं किया है। कहा जा रहा है कि दोनों देशों की सीमा पर तनाव और बांग्लादेश में अशांति के कारण बांग्लादेश के व्यापारियों ने मेले में हिस्सा लेने में रुचि नहीं दिखाई। यह पहला मौका है, जब बांग्लादेश के व्यापारियों ने इस मेले में अपना स्टॉल नहीं खोला। पौष मेला का प्रारंभ 1892 में रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने किया था।

23 दिसंबर छह दिन चलेगा मेला

विश्वभारती के कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी और वरिष्ठ इतिहास शिक्षक अतिग घोष ने कहा कि पौष मेले में बांग्लादेश से किसी भी कियोस्क का नहीं आना हमारे लिए बहुत ही दर्दनाक है। हमें उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही बदल जाएगी और अगले वर्ष इस मेले में बांग्लादेश के स्टॉल होंगे।
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जबरन आयोगः भारत में हो सकते हैं बांग्लादेश के कैदी

उधर, दोनों देशों में तनावपूर्ण संबंधों को बढ़ाने वाला एक और कारण सामने आया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग ने प्रधानमंत्री के रूप में शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान ‘लोगों के जबरन गायब होने वाले मामलों’ में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया है। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में गठित पांच सदस्यीय आयोग ने सुझाव दिया है कि कुछ बांग्लादेशी कैदी अभी भी भारतीय जेलों में बंद हो सकते हैं। आयोग ने कहा, “हम विदेश और गृह मंत्रालयों को सलाह देते हैं कि वे भारत में अभी भी कैद किसी भी बांग्लादेशी नागरिक की पहचान करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। बांग्लादेश के बाहर इस निशानदेही पर नज़र रखना आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।”

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