गोलवरकर ने राष्ट्रीय झंडे को बताया था सांप्रदायिक: जयराम
जयराम रमेश ने कहा है कि 1947 में आरएसएस के दूसरे प्रमुख एमएस गोलवलकर ने अपनी पुस्तक बंच ऑफ थॉट्स (M S Golwalkar book’s Bunch of Thoughts) में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने की आलोचना की थी। गोलवलकर ने कथित तौर पर झंडे को “सांप्रदायिक” और “केवल नकल का मामला” बताया।
जयराम ने RSS की पत्रिका का हवाला देकर कही बड़ी बात
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरएसएस पत्रिका ऑर्गेनाइज़र में 1947 में प्रकाशित एक लेख का हवाला दिया। इस लेख में कथित तौर पर कहा गया था कि तिरंगे को “हिंदुओं द्वारा कभी भी अपनाया या सम्मान नहीं दिया जाएगा।” लेख में सुझाव दिया गया कि ध्वज के तीन रंग देश के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसानदेह और हानिकारक थे।
RSS के हवाले से जयराम ने किया ये गंभीर दावा
जयराम रमेश ने 2015 के छिड़े एक विवाद का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस विवाद के दौरान आरएसएस ने तर्क दिया था कि “राष्ट्रीय ध्वज पर भगवा ही एकमात्र रंग होना चाहिए”, यह कहते हुए कि अन्य रंग सांप्रदायिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने दावा किया कि आरएसएस ने 2001 तक अपने मुख्यालय पर लगातार तिरंगा नहीं फहराया था। जयराम ने एक घटना को याद किया जहां तीन युवाओं को आरएसएस परिसर पर झंडा फहराने की कोशिश के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।